Home » मध्यप्रदेश को पेंशनरी दायित्व के भुगतान में सालाना 2000 करोड़ से अधिक राशि का छत्तीसगढ़ सरकार को नुकसान : पहली बार राज्य सरकार ने पेंशनर्स महासंघ के दावा को माना
Breaking छत्तीसगढ़ देश मध्यप्रदेश राज्यों से

मध्यप्रदेश को पेंशनरी दायित्व के भुगतान में सालाना 2000 करोड़ से अधिक राशि का छत्तीसगढ़ सरकार को नुकसान : पहली बार राज्य सरकार ने पेंशनर्स महासंघ के दावा को माना

धारा 49 भारत सरकार का एक्ट है इसे वही हटा सकती है – मुकेश बंसल

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश द्वारा मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 के कारण पेंशनर के आर्थिक भुगतान में राज्य को 24 वर्षो में कई करोड़ की हानि होने के दावे पर वित्त सचिव ने मुहर लगा दी। गुरुवार 10 अक्टूबर को मंत्रालय में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा के दौरान वित्त सचिव मुकेश बंसल ने सरकार को आर्थिक नुकसान होने की बात को स्वीकार किया और बताया कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) के तहत पेंशनरी दायित्व के विभाजन नियम से 74:26 अनुपात में आर्थिक स्वत्वो के भुगतान में छत्तीसगढ़ राज्य शासन को सालाना लगभग 2000 करोड़ से अधिक राशि नुकसान हो रहा है,परंतु चूंकि यह एक्ट भारत शासन का है इसलिए इसे विलोपित करने का अधिकार भी उन्ही को है इसे विलोपित करने में राज्य सरकार सक्षम नहीं है।इसके लिए दोनो राज्य के विधि सम्मत सहमति प्रस्ताव भी जरूरी है। उक्त जानकारी उन्होंने आज भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रतिनिधि मंडल को मंत्रालय में आमंत्रित कर चर्चा के दौरान अवगत कराया। प्रतिनिधि मंडल में वरिष्ठ कर्मचारी नेता, भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री व प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, प्रदेश महामंत्री अनिल गोल्हानी, प्रदेश कोषाध्यक्ष बी एस दसमेर,जिला रायपुर के अध्यक्ष पं रामगोपाल बोहरे तथा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हरेन्द्र चंद्राकर शामिल रहे। जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव एवम् कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा तथा प्रदेश महामंत्री अनिल गोल्हानी ने आगे बताया हैं कि कई वर्षों से राज्य सरकार को आर्थिक भुगतान में करोड़ों की हानि होने की पेंशनर्स महासंघ की दावे को पहली बार किसी जिम्मेदार अधिकारी ने माना है, इससे पहले किसी जिम्मेदार अधिकारी अथवा मुख्यमंत्री, मंत्री ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और न ही इस मामले को समझने का प्रयास किया। 24 साल में पहली बार किसी जिम्मेदार अधिकारी ने प्रकरण पर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की, मामले पर झारखंड और उत्तराखण्ड के वित्त सचिव से बात कर उन राज्यों की स्थिति से अवगत हुए और इस संपूर्ण जानकारी से प्रतिनिधि मंडल को चर्चा में अवगत कराया। इस भुगतान से सरकार के खजाने की हो रही घाटे पर चिंता व्यक्त किया है।चर्चा के दौरान केन्द्र के समान जनवरी 24 से बकाया 4% महंगाई राहत के आदेश जारी करने, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार 80 वर्ष के स्थान पर अब 79 पूर्ण होने 20% पेंशन वृद्धि किए जाने,पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 संशोधित कर चिकित्सा प्रतिपूर्ति के रकम में बदलाव करने, आधार और पेन कार्ड के बैंक खाते से लिंक नही होने कारण आयकर के दायरे से बाहर पेंशनर्स के मासिक पेंशन से बिना सूचना की आयकर की कटौती पर रोक लगाने, 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगो को बस यात्रा किराए मे छूट के शासन आदेश को पालन कराए जाने आदि मामलो पर ज्ञापन सौंप कर विस्तार से चर्चा की गई। मंत्रालय स्थित उनके कक्ष में आधे घंटे के चर्चा में सभी मामलों पर उचित समाधान का प्रयास करने का भरोसा दिया।

Advertisement

Advertisement