Friday, December 5

देवभूमि हिमाचल देवी -देवताओं का घर है। यहाँ हर कोने में देवी-देवताओं से जुड़ी कई दिव्य और पौराणिक कथाएँ सुनने को मिलती हैं। यहाँ के प्राचीन मंदिर, पवित्र गुफाएँ और धार्मिक स्थल हमारी समृद्ध संस्कृति का उदाहरण हैं । हिमाचल के हर जिला हर शहर और हर गांव में देवी -देवताओं का वास है। देवी -देवताओं से जुडी बहुत सी कथाएँ आपने सुनी होगी। जिसमें अक्सर मंदिर या फिर मूर्तियां का जिक्र अपने सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी देव कथा से रूबरू करवाएंगे जिसका सम्बन्ध किसी मंदिर से नहीं है अगर है तो मात्र एक गुफा से निकलती जलधारा – मगर ये कोई आम जलधारा नहीं है बल्कि ये स्वरूप है सैनधार की माता वैणुका का, जो सिरमौर जिला की माता रेणुका की बहन है। माता वैणुका, आज भी जलधारा के रूप में भक्तों पर अपनी कृपा बनाए हुए है – इस चमत्कारी जलधारा से कई प्राचीन कथाएं जुडी है और इन्ही कथाओं का पता लगाने के लिए संगड़ाह से हमारे संददाता हेमंत चौहान पहुंचे सिरमौर जिला के उस चमत्कारी स्थान पर जहाँ माता वेणुका का निवास है। तो चलिए इन चमत्कारी कथाओं को जानने के लिए आपको सीधा ले चलते है – सैनधार

स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह जलधारा एक गुफा के अंदर से निकलती है। गुफा लगभग 70 से 80 मीटर तक अंदर जाती है और कहा जाता है कि इसके भीतर एक विशाल तालाब भी मौजूद है। हालांकि समय बीतने के साथ गुफा का द्वार संकीर्ण हो गया है, लेकिन जलधारा आज भी उसी तालाब से बहती है।” यह कोई आम जलधारा नहीं है बल्कि कई बार यहां अद्भुत चमत्कार भी देखने को मिले हैं—जैसे जलधारा के साथ फूल बहना या भीतर से अजीबो-गरीब ध्वनियां सुनाई देना।” इतना ही नहीं इस जलधारा से कई तरह की बीमारियां भी ठीक होती हैं ।

सैनधार – इस स्थान का नाम यूँ नहीं पड़ा – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता वैणुका का विवाह सहस्त्रबाहु से हुआ था जो राक्षस प्रवृति से संबंध रखता है। एक दिन सहस्त्रबाहु ने ऋषि जमदग्नि के आश्रम से कामधेनु का हरण किया और ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी, जब सहस्त्रबाहु ने परशुराम के पिता, ऋषि जमदग्नि को मार दिया था। तब भगवान परशुराम ने यहीं सैनधार में सहस्त्रबाहु का वध किया। कहा जाता है कि उसका शीश यहीं गिरा और तभी से इस स्थान का नाम पड़ा ‘सैनधार’।

हर साल गांव के लोग यहां भंडारा करते हैं। माता वैणुका से गांव की खुशहाली, बच्चों की लंबी आयु और रोगमुक्त जीवन की कामना की जाती है। “स्थानीय दंतकथाओं के मुताबिक, आज भी माता रेणुका और माता वैणुका इन जलधाराओं के माध्यम से यहां निवास करती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं। यह आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम है।

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