नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को देश को 2022 में मिलने वाली नई संसद का शिलान्यास करेंगे. इस दौरान मोदी सरकार के सभी मंत्री और अलग-अलग दलों से कई सांसदों के अलावा कई सरकारी अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. यह कार्यक्रम दोपहर 12.30 बजे से शुरू होगा. मौजूदा संसद भवन गोलाकार है, लेकिन संसद का नया भवन त्रिकोण आकार आकृति में होगा. नया संसद भवन 64 हज़ार 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा. नया संसद भवन अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इस मौजूदा संसद भवन की जगह लेगा. मौजूदा संसद भवन का निर्माण कार्य 1911 में तब शुरू हुआ था, जब अंग्रेजों ने दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया था, जिसके बाद 1927 में इसका उद्घाटन हुआ था, लेकिन बदलते वक्त के साथ यह मांग उठने लगी कि सांसदों की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए एक नई इमारत बनाई जाए, जिसमें सांसदों के लिए ज्यादा सुविधाएं और उनके दफ्तर उसी संसद भवन परिसर का हिस्सा हो. नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था रहेगी. लोकसभा सदन में 888 सांसदों की क्षमता होगी, वहीं राज्यसभा सदन में 384 सांसद बैठ सकेंगे. यह व्यवस्था भविष्य में सांसदों की संभावित संख्या का अनुमान लगा कर की जा रही है. मौजूदा संसद में लोकसभा के 545 और राज्यसभा के 245 सांसद हैं. नए संसद भवन परिसर में सांसदों का दफ्तर भी होगा. नए संसद भवन में एक कॉन्स्टिट्यूशन हॉल भी रहेगा, जहां पर संविधान की मूल कॉपी रखी जाएगी. इसके साथ ही विजिटर गैलरी भी तैयारी की जाएगी, जहां पर भारत के लोकतंत्र की विरासत को डिजिटली दिखाया जाएगा. सरकार की योजना है कि नए संसद भवन का निर्माण कार्य अगले 2 साल के भीतर पूरा कर लिया जाए, जिससे की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर जो सत्र बुलाया जाए वह नए संसद भवन में ही बुलाया जाए. वहीं बात की जाए पूरे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की तो इसको पूरा करने के लिए 2024 तक की डेडलाइन रखी गई है. आज जब नई संसद भवन की इमारत के लिए शिलान्यास होगा तो उस दौरान कर्नाटक के सिंगरी मठ से आए हुए साधु संत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हवन पूजन के साथ शिलान्यास करवाएंगे. इस दौरान अन्य धर्मों से जुड़े हुए धर्मगुरु भी वहां पर मौजूद रहेंगे, जो प्रार्थना करेंगे. नए संसद भवन बनाने का काम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड कर रहा है. जानकारी के मुताबिक नए संसद भवन बनाने पर करीब 862 करोड़ रुपए खर्च होगा. वहीं बात की जाए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की तो इस प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री का आवास जो अभी 7 लोक कल्याण मार्ग पर है, उसको भी सेंट्रल विस्टा के तहत नए साउथ ब्लॉक में बनने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय के नजदीक ही बनाया जाएगा. इसी तरह से उपराष्ट्रपति का आवास जो फिलहाल दिल्ली के मौलाना आजाद रोड पर बना हुआ है, उसको भी नए नार्थ ब्लॉक के पास बनाया जाएगा. हालांकि ये भी साफ कर देना जरूरी है कि नई संसद भवन और सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट के बनने के बाद भी पुराने संसद भवन की इमारत यूं ही खड़ी रहेगी, कौशिक संसद भवन ही नहीं, बल्कि नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक की इमारते भी अपने पुराने अस्तित्व में ही रहेंगी, लेकिन इनमें पहले की तरह कामकाज नहीं होगा, मुमकिन है कि इनको म्यूजियम के तौर पर दर्शकों के लिए रखा जाए. नई संसद का निर्माण कार्य सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत सिर्फ संसद भवन ही नहीं, बल्कि संसद भवन के आसपास बने सरकारी भवनों को भी नए सिरे से बनाया जाएगा, वह भी नई जगह पर और यह नई जगह है, राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच आने वाले राष्ट्रपति के दोनों तरफ पड़े खाली मैदान. सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट के तहत ऐसा नहीं है कि सिर्फ संसद भवन को ही नया बनाया जाना है, बल्कि उसके साथ ही राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच में राष्ट्रपति के दोनों तरफ सरकारी मंत्रालयों के बिल्डिंग भी नई बनाई जाएंगी. इसकी खासियत यह होगी कि यह सारी बिल्डिंग एक दूसरे से अंडरग्राउंड तरीके से कनेक्ट होंगी, जिससे कि अगर एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में किसी अधिकारी या मंत्री को जाना हो तो वह आसानी से आ जा सके.
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