Wednesday, December 10

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कर्मचारी कांग्रेस के प्रांताध्यक्ष लॉ.एसएन पटेल ने विभागीय परीक्षा के माध्यम से कर्मचारियों का वेतन निर्धारण में हो रही विसंगतियों के निराकरण की मांग की है। इस संबंध में श्री पटेल ने विद्युत कंपनी के महाप्रबंधक को एक पत्र लिखा है। महाप्रबंधक को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि निवेदन है कि परीक्षण सहायक श्रेणी 2/तकनीशियन (वितरण) के पदों पर नियुक्ति बाबत परिपत्र के माध्यम से विज्ञापन जारी किये गये थे। जिन पदों पर विभागीय योग्यताधारी कर्मचारियों द्वारा आवेदन प्रेषित कर नियमानुसार परीक्षा देकर उनमें से अनेक कर्मचारी सफल हुए एवं अनेक कर्मचारी असफल भी हुए। उत्तीर्ण (सफल) कर्मचारियों के पदभार ग्रहण करने के उपरांत उक्त उच्च पद पर कंपनी के परिपत्र के आधार पर वेतन का निर्धारण किया जाना था। किंतु आपके संदर्भित पत्र के माध्यम से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए वेतन निर्धारण करने बाबत नवीन आदेश जारी किया गया, जिसके तहत सफल कर्मचारी को नियमानुसार मिलने वाला एक आगामी वेतन वृद्धि का लाभ प्रदान नहीं किया जा रहा, उन्हें सिर्फ वर्तमान वेतनमान के उच्चतम स्लैब में रखकर अंतर की राशि मात्र 720रुपये जोड़कर मूलवेतन का निर्धारण किया जा रहा है। इसी तारतम्य में अवगत होवें कि वर्ष 2013 में इन्ही पदों पर परिपत्र के माध्यम से आयोजित परीक्षा में सफल कर्मचारियों को एक आगामी वार्षिक वेतनवृद्धि का लाभ प्रदान कर वेतनमान का निर्धारण किया गया है। वर्ष 2013 एवं वर्ष 2019 में आयोजित परीक्षा में वेतन का निर्धारण एवं सेवा शर्ते समान रखी गई है। फिर भी वर्ष 2019 में नियुक्त कर्मचारियों को एक आगामी वार्षिक वेतनवृद्धि का लाभ प्रदान नही ंकिया जाना न्यायसंगत नहीं है।
उदाहरणार्थ:-विभागीय परीक्षा में शामिल हुए समान पद पर कार्यरत दो कर्मचारी जिनका वेतनमान 42600 रुपये अर्थात एक समान है, और इनकी वार्षिक वेतनवृद्धि तिथि माह मार्च 2020 निर्धारित थी, एवं दोनों ने उच्च वेतनमान का लाभ भी समान समयावधि मार्च 2015 में प्राप्त किया है। दोनों कर्मचारी 2019 में आयोजित विभागीय परीक्षा में शामिल हुए जिनमें से एक उत्तीर्ण हुआ और दूसर अनुत्तीर्ण रहा। उत्तीर्ण कर्मचारी का वेतनमान निर्धारण माह अगस्त 2019 में किया जाकर 42600 प्लस 700 बराबर 43300 में निर्धारित किया जाता है। एवं इस उत्तीर्ण कर्मचारी की वार्षिक वेतनवृद्धि निर्धारित नियम एवं शर्तों के अनुसार आगामी 1 वर्ष के पश्चात अर्थात अगस्त 2020 में दी गई, एवं उसका उच्च वेतनमान 9 वर्षों के उपरांत वर्ष 2028 में प्रदान किया जायेगा। इसी क्रम में दूसरा कर्मचारी जो असफल रहा उसे नियमानुसार वार्षिक वेतनवृद्धि मार्च 2020 में दी गई और उसका वेतन 43900 रुपए हुआ एवं उसे उच्च वेतनमान का लाभ मार्च 2024में प्राप्त होगा। उपरोक्त दोनों कर्मचारियों का तुलनात्मक भिन्नता देखने पर उत्तीर्ण कर्मचारी को विभागीय उच्च पद पर प्राप्त करने के उपरांत भी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। उपरोक्त उदाहरण स्पष्ट दर्शाता है कि उत्तीर्ण (सफल) कर्मचारी उच्च पद को प्राप्त करने के बाद भी अनुत्तीर्ण (असफल) कर्मचारी के वेतनमान से सदैव पीछे रहेगा। संगठन के प्रांताध्यक्ष श्री पटेल ने पत्र के अंत में निवेदन किया है कि उक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उत्पन्न वेतन विसंगति के निराकरण हेतु उपरोक्त विभागीय परीक्षा के तहत उच्च पद पर पदस्थ कर्मचारियों को पूर्वानुसार एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि देकर ही उनका वेतन निर्धारण किये जाने संबंधी कार्यवाही कराने का कष्ट करें।

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