- सोमनाथ-सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति के क्षय रोग होने के श्राप दिया गया, चंद्रमा ने इसी स्थान पर तब कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। विदेशी आक्रमण के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता है और फिर बनता रहता है।
2 मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है।इस पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है यहां पर शिव और पार्वती दोनों का संयुक्त रूप मौजूद है । मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों की ज्योतियां समाई हुई है। - महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग-मध्य प्रदेश से क्षिप्रा नदी के किनारे उज्जैन नगर में बसा हुआ है। जिसको इंद्रपुरी अमरावती या अवंतिका भी कहते हैं। यही भगवान शिव का महाकालेश्वर मंदिर है इसकी महिमा अवर्णनीय है।
- ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग-ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के समीप स्थित है। जिस जगह पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है,स्थान पर नर्मदा नदी बहती हैं तथा पहाड़ी के चारों तरफ नदी बहने के कारण यहां ओम का आकार बनता है इसलिए इसे ओमकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग-केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।केदारनाथ का वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण में मिलता है।यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र में भी दिया है।
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग-12 ज्योतिर्लिंगों में भीमाशंकर का छठवां स्थान है या ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर साहाद्रि पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर मंदिर के पास कमला जा मंदिर है जो मां पार्वती का अवतार है। इस मंदिर के पास ही भीमा नदी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है।
- विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग-विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में जिसे धार्मिक नगरी काशी के नाम से जाना जाता है वहां पर गंगा नदी के तट पर स्थित है। बाबा विश्वनाथ का मंदिर जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है? ऐसी मान्यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव यहीं पर अपना स्थाई निवास बनाए थे।
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग-त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है।गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है शिव पुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने का निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुआ।
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग-वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है, यहां के मंदिर को विश्वनाथ धाम के नाम से जाना जाता है, कहा जाता है कि एक बार रावण ने तब के बल पर शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी को यही स्थापित हो गए।
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग- नागेश्वर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है।धार्मिक पुराण में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ है नागो का ईश्वर, कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया।
- रामेश्वर ज्योतिर्लिंग-भगवान शिव का 11 ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में है।ऐसी मान्यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी वही रामेश्वर नाम से विश्व विख्यात हुआ।
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग-कृष्ण ईश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजी नगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इनको घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
ऊँ नम: शिवाय
के. शारदा
[metaslider id="184930"













