चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सदैव सावधान रहना चाहिए और संसाधनों का प्रयोग बहुत ही सोच समझ कर करना चाहिए. जो व्यक्ति भविष्य की चिंता नहीं करते हैं वे बुरा वक्त आने पर परेशानी उठाते हैं. वहीं जो व्यक्ति भविष्य को लेकर सतर्क रहते हैं, उन्हें बुरे वक्त में अधिक परेशानी नहीं उठानी पड़ती हैं. चाणक्य अर्थशास्त्र के भी ममर्ज्ञ थे. जीवन में धन की क्या उपयोगिता होती है इस बात को चाणक्य अच्छी तरह से जानते थे. चाणक्य के अनुसार धन एक साधन है, जिससे जीवन को आसान बनाया जाता है. भौतिक जीवन में धन का विशेष महत्व होता है. धन से जीवन की भौतिक जरूरतों को पूर्ण करने में आसानी होती है. इसलिए धन का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए. जो लोग धन का प्रयोग ठीक प्रकार से नहीं करते हैं उन्हें संकट आने पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. चाणक्य ने धन का संचय करने पर बल दिया है. जो लोग धन की बचत करते हैं वे बुरे वक्त को आसानी से गुजारने में सक्षम होते हैं. इसलिए धन की बचत करने की दिशा में प्रयास करने चाहिए. जो लोग आय से अधिक धन का व्यय करते हैं वे सदैव परेशान रहते हैं.
बुरे वक्त में धन ही सच्चा साथी
चाणक्य के अनुसार जिस प्रकार से रात और दिन होते हैं उसी प्रकार से जीवन में सुख और दुख बने रहते हैं. सुख के समय बरती गई सावधानी दुख के पलों को आसानी से व्यतीत करने में मददगार होती है. बुरा समय जब आता है तो सगे संबंधी भी साथ छोड़ जाते हैं. बुरे वक्त में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है. बुरे वक्त में धन व्यक्ति का सच्चा मित्र होता है. जो व्यक्ति धन की बचत भविष्य को ध्यान में रखकर करता है उसे खराब समय आने पर कम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
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