कश्मीर में गर्मियां आते ही विभिन्न प्रकार के फलों के आने का सीजन शुरू हो जाता है और सबसे पहले आने वाले फलों में स्ट्रॉबेरी का नंबर होता है. लेकिन, कोरोना के कारण लगातार दुसरे साल भी स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को नुक्सान उठाना पड़ रहा है. श्रीनगर से 16 किलोमीटर दूर गासू गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रसिद्ध है और बड़ी संख्या में युवा अपना रोजगार कमाने के लिए इसे कैश क्रॉप के तौर पर करते रहते हैं. आम दिनों में एक एकड़ के खेत से परिवार आराम से 4-5 लाख कमा लेता है लेकिन पिछले दो सालो से किसानो को नुकसान हो रहा है. 40 साल के शबीर अहमद पिछले 5 साल से स्ट्रॉबेरी की खेती करते आये हैं लेकिन अभी वह इस बात से परेशान हैं कि तैयार माल कहां बेचें. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की फसल बहुत जल्दी खराब हो जाती है और इसलिए दो दिन के अंदर ही इसको या तो मार्केट या फिर कोल्ड स्टोरेज में ले जाना पड़ता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते दोनों की काम नहीं हो सकते. 2020 में मार्च के महीने में कोरोना लॉकडाउन लगाया गया और इस बार भी देश के साथ-साथ कश्मीर में भी लॉकडाउन जारी है. इसी लिए अब स्ट्रॉबेरी के किसान लोकल मार्केट में ही काफी कम दामों में बेचने पर मजबूर हैं और इसमें भी पुलिस की तरफ से इन लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शबीर के जैसे ही स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले वसीम अहमद भट के अनुसार एक तरफ खराब मौसम और दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते काफी मुश्किल है. सड़क पर पुलिसकर्मी उनकी गाडिय़ों को रोकते हैं और अगर वह किसी भी तरह मंडी तक पहुंच भी जाते हैं तो वहां कोई खरीदार नहीं आता. इसके चलते काफी काम दाम मिल रहे हैं. खेती करने वालों की परेशानी समझते हुए प्रदेश के हॉर्टिकल्चर विभाग ने प्रशासन से स्ट्रॉबेरी के लिए विशेष ट्रांसपोर्ट का प्रबंध करने का आग्रह किया ताकि स्ट्रॉबेरी और उसके बाद तैयार होने वाले चेरी की खेती को देश के विभिन्न इलाकों में बनी मंडियों तक पहुंचाया जा सके. लेकिन ना तो सरकार ने अभी तक इन के लिए कोई आदेश दिया है और न हीं फलों को मंडियों तक पहुंचाने का कोई इंतजाम किया है. डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर ऐजाज अहमद भट्ट के अनुसार स्ट्रॉबेरी की खेती कश्मीर में बहुत काम ही इलाके में होती है और प्रति वर्ष 2000-2500 मीट्रिक टन स्ट्रॉबेरी उगायी जाती है. पिछले दो सालों से लगातार स्ट्रॉबेरी और चेरी के सीजन में कोरोना लॉकडाउन के चलते अब यह दोनों ही फल मार्केट से गायब और इसके किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गई है.
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