नई दिल्ली। हिन्दू कैलेंडर के हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। सावन 2020 में कालाष्टमी 12 जुलाई रविवार को है। इस दिन भगवान शिव के विग्रह रूप काल भैरव भगवान की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति रोगों के प्रभाव से भी दूर रहता और नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है। मान्यता के अनुसार कलियुग में काल भैरव की उपासना करने से शीघ्र फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन काल भैरव की पूजा करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस व्रत को विधि-विधान से करने से सभी कष्ट मिट जाते हैं और काल दूर हो जाता है। आइए जानते हैं कालाष्टमी पर कालभैरव को किस तरह प्रसन्न किया जा सकता है और इसकी पूजा विधि क्या है…
पूजा विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद व्रत का सकंल्प करना चाहिए।
- किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव या भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें।
- इसके बाद शाम को भगवान शिव-पार्वती की पूजा करना चाहिए।
- भैरव जी की पूजा कर उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।
- भैरव को तांत्रिकों का देव कहा जाता है, इसलिए कालाष्टमी के दिन रात में पूजा का महत्व है।
- भैरव की पूजा करने के लिए धूप, दीपक, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से पूजा कर आरती करें।
- पूजा के बाद भैरव कथा का पाठ करना चाहिए।
- व्रत कोलने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाना चाहिए। (एजेेंसी)