Friday, December 12

किसान पुत्र, संघर्ष और जुनून के पर्याय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की प्रभावशाली योजना स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट अंग्रेजी-हिंदी माध्यम स्कूल के तहत छत्तीसगढ़ के लाखों बेटे और बेटियों की जिंदगी में एक सुखद बदलाव देखने, सुनने और पढ़ने को मिल रहा है। सुदूर वनांचल हो या मैदानी जिले या फिर नवगठित जिले हो, प्रदेश के सभी जिलों में आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उजली तस्वीर देखने को मिल रही है। शुरूआत में 52 स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल प्रारंभ किए गए। अब तक हिंदी माध्यम की 32 तथा 247 अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले जा चुके हैं। इस तरह प्रदेश में 279 उत्कृष्ट स्कूल संचालित हैं। एक लाख तीन हजार बच्चों ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में दाखिला लिया है तो करीब डेढ़ लाख बच्चे हिंदी माध्यम शालाओं में दाखिला ले चुके हैं। साथ ही बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाओं की भर्ती की गई है। 

उत्कृष्ट स्कूल खोलने का ऐसा आया विचार

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल बताते हैं कि वे जब गांव के स्कूल में पढ़ते थे, उस समय दिमाग में यह बात थी कि गांव के सरकारी स्कूलों में भी यही सुविधा मिलनी चाहिए जो शहरों में मिलती है। मिडिल स्कूल और हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान दुर्ग-भिलाई आना-जाना होता था, तो वहां की पढ़ाई देखते थे। वहां के बच्चों को मैदान, प्रयोगशाला, ग्रंथालय जैसी सुविधाओं का लाभ मिलता था, कोचिंग क्लास भी जाते थे जबकि हमारे गांव में ऐसी कोई सुविधा नहीं थी। मध्यम और गरीब वर्ग के बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते हैं। उनके पालकों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं रहती कि निजी स्कूलों की महंगी फीस दे सके। इसके कारण बहुत सी प्रतिभाएं निखर नहीं पातीं और निजी स्कूलों के बच्चों की तुलना में अपने आप को कमतर समझने लगती हैं।
 मुख्यमंत्री ने आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के बच्चों का आत्मबल स्वाभिमान और भविष्य की संभावनाएं बनाए रखने के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्कृष्ट अधोसंरचना वाले स्कूलों की व्यवस्था प्रदेशस्तर पर करने की व्यवस्था की है। कोरोना काल में जब अन्य प्रदेशों में लॉकडाउन के कारण सब कुछ ठप था तब इस योजना पर काम कर रहे थे और इसी दौरान स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम उत्कृष्ट विद्यालय योजना शुरू की गई। पहले रायपुर के सिर्फ तीन स्कूलों में की शुरू गई।

उत्कृष्ट स्कूल का नामकरण 

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने स्वामी आत्मानंद जी के नाम पर स्कूल खोलने की मुख्य वजह बताते हुए हैं कि छत्तीसगढ़ को बने बीस बरस हो गए थे लेकिन कमजोर तबके के बच्चों को शिक्षा में बराबरी के अवसर देने के बारे में कोई सोच ही नहीं बनी थी। यह बात अखरती थी जब इस योजना के नामकरण का सवाल आया तो आंखों के सामने स्वामी आत्मानंद की छवि नजर आई, उन्होंने किस तरह से नारायणपुर जैसे सघन वन अचल में लगभग चार दशक पहले आवासीय विद्यालय की कल्पना की थी। वहां भव्य स्कूल का निर्माण कराया, जिसके कारण बेहद पिछड़े अंचल के बच्चों को अपना भविष्य संवारने में मदद मिली थी।
 स्वामी जी उच्च शिक्षित होने के साथ-साथ अंग्रेजी सहित अनेक भाषाओं के भी ज्ञाता थे। उनके अमिट योगदान को चिरस्थायी बनाने के लिए यह उचित अवसर भी था। वे जीवनभर प्राथमिक व उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगे रहे, ताकि छत्तीसगढ़ सहित देश के मासूम बच्चे खासकर गरीब तबके के बच्चे भी उच्च शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ सके और उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। इस तरह शिक्षा के क्षेत्र में निजी और सरकारी शालाओं के बीच के अंतर को समाप्त करने और बच्चों को बराबरी के अवसर देने के लिए यह योजना शुरू की। इन स्कूलों में आधुनिक लैब, लाइब्रेरी, लैग्वेज लैब, आधुनिक कम्प्यूटर प्रयोगशाला, रोबोटिक लैब, खेल मैदान, इंडोर गेम्स, कला व संगीत के लिए अलग कमरे का निर्माण कराया गया है। इस तरह स्कूलों के परिसर संवरने से तस्वीर भी बदलने लगी है।

फर्राटेदार अंग्रेजी में जवाब

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल गरियाबंद प्रवास के दौरान जिले के विभिन्न गांवों में जाकर लोगों से सीधे रु-ब-रु हुए और सरकार की विभिन्न योजनाओं, उपलब्धियों की जमीनी हकीकत भी टटोली इस भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत जब श्री बघेल देवभोग पहुंचे तब एक आमसभा में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले छात्र आदर्श वर्धन से सवाल किया कि पहले कहां पढ़ते थे ? वहां कितनी फीस थी? अभी इस स्कूल में क्या सुविधा है ? यहाँ के शिक्षक-शिक्षिका कैसे हैं ? तब मासूम आदर्श ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब फर्राटेदार अंग्रेजी में दिया। छात्र ने बताया कि इससे पहले वे जिस स्कूल में पढ़ाई करते थे, यहां हर साल 14 हजार रुपए फीस देनी पड़ती थी, लेकिन आत्मानंद स्कूल में सारी सुविधाएं निःशुल्क मिल रही हैं। इसी तरह बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां कभी नक्सलियों की बंदूकों की गोलियां गूंजती थीं, अब वहां बच्चों की निश्छल खिलखिलाहट बिखर रही है। इसकी बानगी छिंदगढ़ में देखने को मिली। 
कभी एक अदद स्कूल को तरसते इलाके में अब स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल मौजूद है, जहां बच्चे नक्सल आतंक से घरों में दुबके रहते थे, वहां बच्चों के लिए अब स्कूल में समर कैम्प लग रहे हैं। भेंट मुलाकात अभियान में संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को अपने बीच सहज भाव से पाकर नौनिहालों का आत्मविश्वास बढ़ जाता है तो अभिभावक भी उत्साह से भर उठते हैं। इस तरह भूपेश सरकार के विगत चार वर्षों में स्कूल शिक्षा का छत्तीसगढ़ मॉडल मिसाल बना और शिक्षा की उजली तस्वीर से नौनिहालों की तकदीर भी निखरी है। (एल. डी. मानिकपुरी, सहायक सूचना अधिकारी)

[metaslider id="184930"
Advertisement Carousel
Share.

Comments are closed.

chhattisgarhrajya.com

ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
 
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031