Saturday, December 13

इस दुनिया में कई जगहों पर अलग—अलग परंपराएं हैं। कई परंपराएं और प्रथाएं इतनी अजीब होती हैं, जिनके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। दुनिया में कई जगहों पर बहुपतित्व की प्रथा भी है। हालांकि इसके पीछे अलग अलग कारण हैं। वैसे तो बहुपतित्व की प्रथा को सही नजरों से नहीं देखा जाता लेकिन एक समुदाय ऐसा भी है, जहां बहुपतित्व को बुरा नहीं माना जाता। यहां कई भाईयों की एक ही पत्नी होती है और यहां एक पत्नी कई पतियों के साथ एक ही घर में रहती है।
तिब्बत में बहुपतित्व की प्रथा
तिब्बत में एक महिला के कई पतियों का जिक्र मिलता रहा है। बता दें कि तिब्बत एक छोटा सा देश है, जो लंबे समय से चीन की मनमानी भी झेल रहा है। यहां जीवनयापन करने के लिए लोगों के पास ज्यादा साधन नहीं है। यहां ज्यादातर लोग किसान हैं, जो जमीन के छोटे टुकड़े पर पूरा परिवार चलाते हैं। ऐसे में अगर कई भाईयों वाले परिवार में सबकी शादियां हों और सभी के बच्चे भी हों तो छोटी जमीन के कई हिस्से हो जाएंगे। इसी मुश्किल के हल के तौर पर तिब्बती सोसायटी ने बहुपतित्व की प्रैक्टिस शुरू की।
तिब्बत के गांवों में आज भी जारी प्रथा
यहां बहुपतित्व के पीछे एक तर्क यह भी रहा कि एक पति अलग कमाने-खाने के लिए बाहर जाए तो घर की देखभाल उतनी ही जिम्मेदारी से दूसरा पति कर सके। यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का ने सत्तर के दशक से लेकर अब तक के कई मानवशास्त्रियों के हवाले से रिसर्च की और पाया कि अब फैमिली लॉ के आने के बाद से बहुपतित्व गैरकानूनी हो चुका है, लेकिन तिब्बती गांवों में अब भी ये जारी है।
बड़े तय करते हैं शादियां
यहां कई पतियों के होने की वजह से समय का बंटवारा व अन्य परेशानियां भी सुलझाई गईं। मेवलिन गोल्डस्टेन के लेख वेन ब्रदर्स शेयर ए वाइफ में मिलता है। अमरीकी सोशल एंथ्रोपोलॉजिस्ट ने कई दशक तिब्बत में बिताए और उनके समाज को काफी पास से देखा। उन्होंने लिखा कि तिब्बती समाज में आमतौर पर शादियां घर के बड़े तय करते हैं। इसके इर्दगिर्द यही बात होती है कि जमीन को लेकर भाइयों में झगड़ा न हो। इसका हल उन्हें बहुपतित्व में मिला।
ऐसे होती है शादी
जब यहां किसी लड़की की शादी होती है तो वर के रूप में बीच में सबसे बड़ा भाई और होने वाली वधू बैठी होती है। इनके अगल-बगल बाकी छोटे भाई रहते हैं। शादी की सारी रस्में बड़े भाई के साथ ही होती हैं। बाकी भाई एक तरह से गवाह की तरह होते हैं, लेकिन घर में वधू के आने के बाद वो सबकी पत्नी कहलाती है। ऐसे में ये भी होता है कि अगर भाइयों में से किसी एक की मौत हो जाए तो भी पत्नी अकेली नहीं छूटती है।
टोपी से तय होता है समय का बंटवारा
बहुपतित्व में कई सारी परेशानियां भी होती हैं, जैसे समय का बंटवारा, या संतान के बारे में कैसे तय होता है कि वो किस पिता से है। समाज ने इसका भी हल निकाला। इसमें टोपी अहम भूमिका निभाती है। जब महिला किसी भी पुरुष से साथ होती है, तो कमरे के बाहर एक टोपी रख दी जाती है। यह टोपी संकेत होता है, जिसे बाकी लोग समझते हैं। जब तक कोई एक भाई भीतर रहेगा, दूसरे लोग कमरे में नहीं जाएंगे। वहीं शादी के जन्मी संतानों को सारे ही पिता अपनी संतान मानते हैं और कोई भेदभाव नहीं रखते। बच्चे के जैविक पिता के बारे में न कोई सामाजिक तौर पर पूछता है, न ही इस पर कोई इंक्वायरी जैसी बिठाई जा सकती है। नई पीढ़ी की संतानों में अगर पुरुष एक से ज्यादा हुए तो वापस यही प्रथा चल पड़ती है।

[metaslider id="184930"
Advertisement Carousel
Share.

Comments are closed.

chhattisgarhrajya.com

ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
 
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031