रायपुर। राजधानी रायपुर के निकट ग्राम गोढी (नवागांव) में बैंक आफ बड़ौदा शाखा के उपभोक्ता ग्राम जरौद निवासी उमरावसिंह ध्रुव को रिटायर होने के लगभग 5 वर्ष बाद अचानक उनके स्वयं के जीवित होने के बावजूद मूल पेंशन को बन्द कर फेमली पेंशन दिया जा रहा है। जबकि पेंशनर के मृत्यु उपरांत उनके पत्नी को फेमली पेंशन का भुगतान करने का प्रावधान है परंतु उमराव सिंह को जीते जी उन्ही को अपना फेमली पेंशन दिया जा रहा है, जो अद्भुत और अनोखा उदाहरण है। प्रकरण को बैंक आफ बड़ौदा के पंडरी रायपुर में जिम्मेदार बैंक अफसरों के संज्ञान में लाने पर बैंक के अफसर सिर धुन रहे हैं ये क्या और कैसे हुआ। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री एव्ं छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने बताया है कि गत 9 जनवरी को पेंशनर दिवस के कार्यक्रम में पिथौरा प्रवास में इस प्रकरण को बागबाहरा के अध्यक्ष भैया लाल चंद्राकर द्वारा ध्यान में लाये जाने पर सभी आवाक रह गये। यह कैसे सम्भव है। जब पेंशनर जीवित है तो फैमिली पेंशन कैसे बना। यह भी विचित्र किंतु सत्य है कि फेमली पेंशन का भुगतान उसी व्यक्ति किया जा रहा है जो स्वयं पेंशनधारी है। जबकि नियमानुसार पेंशनधारी के दिवंगत होने से फैमली पेंशन उनके नामांकित परिजनों को दिया जाता है। जारी विज्ञप्ति आगे बताया गया है कि प्रदेश में इस प्रकार के अनेक प्रकरण है जो जानकारी के अभाव में अंधेरे में है और वह बैंक की लापरवाही का खामियाजा भुगतने को मजबूर है। जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य में पेंशनधारी सेवानिवृत्त कर्मचारी 80 वर्ष के बाद अतिरिक्त पेंशन की वृद्धि और फेमली पेंशनर को लेकर बैंक और कोषालय के बीच पेंशन भुगतान को लेकर चक्कर काट कर परेशान है।
जब पेंशनर जीवित है तो फैमिली पेंशन कैसे बना?, बैंक अफसरों के संज्ञान में लाने पर सभी रह गये आवाक !
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