वैशाख माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा पर पांच मई को मान्ध (मध्यम)चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण में सूतक नहीं पड़ेगा। इसका कोई दोष भी नहीं लगेगा। यह ग्रहण रूस, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान समेत कई देशों में दिखाई देगा। भारत में उपछाया चंद्रग्रहण है। साल के पहले चंद्र ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। शुक्रवार को रात करीब 8 बजकर 44 मिनट चंद्र ग्रहण की मध्यम छाया की शुरूआत होगी, जो रात्रि 1 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। इसे ग्रहण की मान्यता प्राप्त नहीं है। चंद्रमा केवल पृथ्वी की उपछाया में से गुजरता है।
उसकी छाया मामूली सी महसूस होती है। इस ग्रहण को सूतक पातक दोष मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह ग्रहण रूस, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान , जर्मन, अफ्रीकी महाद्वीप, पाकिस्तान, चीन , नेपाल, मंगोलिया,ऑस्ट्रेलिया अंटार्टिका के मध्य के देशों दिखेगा। भारत में भी दिखेगा परंतु यह एक उपछाई चंद्रग्रहण है। इस ग्रहण से संबन्धित वेद, सूतक, स्नान, दान, पुण्य, कर्म नियम आदि कहीं भी मान्य नहीं होंगे। इससे किसी भी पुरुष महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है। इस ग्रहण का कोई दुष्प्रभाव जीवन पर नहीं पड़ेगा।