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कर्नाटक के रोमांचक मुकाबले में कांग्रेस की बंपर जीत पार्टी के लिए संजीवनी

  • चन्द्रभूषण वर्मा
    10 मई को हुए कर्नाटक विधानसभा के चुनावों के परिणाम 13 मई शनिवार सुबह से आने शुरू हो गए थे। मतगणना के शुरूआती दौर में कांग्रेस और बीजेपी आगे-पीछे हो रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे मतगणना का दौर आगे बढ़ता गया, कांग्रेस भी एक के बाद एक सीट पर तेजी से अपनी बढ़त बनाए हुई थी और अंतत: 129 सीटों पर ताजे रुझानों के अनुसार कांग्रेस ने बढ़त बना ली है। वहीं बीजेपी-63 और जेडी(एस)-22 सीटों पर आगे चल रही है।
    यदि पूरे देश में अभी कांग्रेस सरकार की बात करें तो हिमाचल, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है। इसके अलावा बिहार, झारखंड और तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन सरकार में शामिल है। इस तरह कर्नाटक को जोड़ दें तो कांग्रेस की अब कुल सात राज्यों में सरकार हो जाएगी। यदि इस साल हुए विधानसभा चुनावों की बात करे तो यह कांग्रेस के लिए काफी लकी साबित हो रहा है। फरवरी में हिमाचल प्रदेश में भी पुराने रिवाज के मुताबिक सत्ता परिवर्तन हुआ था। वहां भी सत्ताधारी बीजेपी की सरकार चली गई थी, जबकि पांच साल बाद कांग्रेस की सरकार में वापसी हुई थी।
    हालांकि, उसी महीने गुजरात में भाजपा फिर से अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही। वहीं मई में कर्नाटक में हुए चुनाव को मिलाकर देखें तो चार महीनों के अंदर दो राज्यों में सत्ता में वापसी करने कांग्रेस सफल रही। इस तरह यह साल कांग्रेस के लिए काफी अच्छा साबित हो रहा है और कर्नाटक की बंपर जीत निश्चित ही कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी। क्योंकि 2023 के अंत तक छत्तीसगढ़ और राजस्थान के साथ-साथ मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले ही आए कर्नाटक विधानसभा के नतीजे निश्चित ही कांग्रेसियों में जोश भरने का काम करेगी और तमाम बड़े नेताओं के साथ ही कार्यकर्ता चुनाव के लिए पूरे दमखम के साथ खड़े नजर आएंगे।
    कर्नाटक के चुनाव को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश का जो बयान सामने आया है। उन्होंने कहा- सबसे पुरानी पार्टी जीत गई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हार गए. जयराम ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ा था, जबकि बीजेपी ने ध्रुवीकरण को चुना। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, अगर वे (भाजपा) करोड़ों रुपये खर्च करेंगे तो ‘ऑपरेशन लोटसÓ हो सकता है, लेकिन कांग्रेस को बहुमत मिलेगा. कर्नाटक में कोई सिंधिया नहीं है. कर्नाटक में मजबूत कांग्रेसी हैं। कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा, मैं अपने कार्यकर्ताओं और अपनी पार्टी के नेताओं को श्रेय देता हूं जिन्होंने इतनी मेहनत की है, लोगों ने झूठ का पर्दाफाश किया है. मैंने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को जीत का आश्वासन दिया था. मैं भूल नहीं सकता जब सोनिया गांधी मुझसे जेल में मिलने आई थी तब मैंने पद पर रहने के बजाय जेल में रहना चुना, पार्टी को मुझपर इतना भरोसा था।
    वहीं छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की जीत पर जश्न का माहौल है। एक ओर जहां कर्नाटक में कांग्रेस की भारी बढ़त पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत ऐतिहासिक है। विकास के एजेंडे पर कांग्रेस को वोट मिला है। इसी के साथ खडग़े को धमकी देने वालों को भी करारा जवाब मिला है। तो वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, इस चुनाव में नरेंद्र मोदी का फैक्टर नहीं चला। अब नरेंद्र मोदी का जादू खत्म हो गया है। भाजपा ने इस चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की। उन्होंने ने कहा कि नतीजों से यह साफ हो गया कि बजरंगबली अब कांग्रेस के साथ है। जो कांग्रेस मुक्त की बात करते थे वो अब कर्नाटक से मुक्त हो गए हैं। सीएम बघेल ने कहा, हिमाचल प्रदेश के बाद अब कर्नाटक में मिली जीत से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है।
    यह तो निश्चित है कि कर्नाटक की जीत कांग्रेस शासित राज्यों के साथ ही, उन राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल बढ़ाने का काम करेगी, जहां आने वाले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। हिमाचल और कर्नाटक की जीत से पहले कांग्रेस सिर्फ दो राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ही पूर्ण बहुमत में थी। हालांकि तीन अन्य राज्यों में गठबंधन की सरकारों में कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाया था। पर पूर्ण बहुमत वाले सरकार में अब कांग्रेस के खाते में दो और राज्य जुड़ जाएंगे। यह एक प्रकार से कांग्रेस के प्रति जनमानस के विश्वास को ही प्रदर्शित करता है। अब इस साल कांग्रेस के खाते में शामिल हुई दो और राज्यों के विधानसभा सीटें, आने वाले कुछ महीने में होने वाले चुनावों पर कितना असर डालेगी, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन ये तय ही कर्नाटक की बंपर जीत ने कांग्रेसियों में एक नया जोश भरने का काम जरूर किया है।

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