हिंदू धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत किया जाता है। मान्यता के अनुसार, सोमवार के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इससे साधक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोमवार का दिन महादेव को क्यों समर्पित होता है।
सोमवार की कथा
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। इन्हीं में से एक रत्न चंद्रमा भी थे। जिसके बाद राजा दक्ष ने अपनी बेटियों की शादी चंद्र देव से करवा दी। उस दौरान चंद्र देव का व्यवहार सभी के साथ सौम्य, शांत और सुशील हुआ करता था। लेकिन समय के साथ ही चंद्र देव के व्यवहार में बदलाव आता चला गया। चंद्र देव अपनी अन्य पत्नियों को छोड़ सिर्फ रोहिणी में मग्न रहने लगे। यह जानकर चंद्रदेव की अन्य पत्नियों का काफी दुख हुआ।
जब राजा दक्ष की पुत्रियों ने इस बात की शिकायत अपने पिता से की तो राजा दक्ष ने सभी पत्नियों के साथ उन्हें प्यार से रहने की सलाह दी। हालांकि समय के साथ चंद्रदेव के व्यवहार में फिर से बदलाव आ गया। इस बात की जानकारी जब राजा दक्ष को फिर से हुई तो उन्होंने चंद्र दंव को श्राप दे दिया कि उनका आकार और चमक क्षीण हो जाएगा। जब राजा दक्ष के श्राप से चंद्रदेव का आकार घटने लगा तो वह व्याकुल हो गए। फिर वह मदद के लिए ब्रह्मा जी के पास पहुंचे।
ब्रह्मा जी के पास पहुंचकर चंद्र देव ने अपनी आपबीती सुनाई। तब ब्रह्म देव ने चंद्र देव को भगवान शिव की पूजा-आराधना करने की सलाह दी। जिसके बाद चंद्र देव भगवान शिव की पूजा-उपासना करने लगे। भगवान शिव की कृपा से चंद्रदेव की रोशनी बढऩे लगी। बता दें कि भगवान भोलेनाथ को सोमदेव भी कहा जाता है। इसलिए भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित होता है। अनन्या मिश्रा