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आधी रात को जवान ने खटखटाया पड़ोसी महिला का दरवाजा….और… अब पड़ी कोर्ट की फटकार…

सीआईएसएफ जवान को अपनी अनोखी करतूत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से कड़ी फटकार लगी है. उसने आधी रात अकेली महिला के दरवाजे नींबू के लिए खटखटाए थे. कोर्ट ने कहा कि केवल इस घटिया वजह के लिए आधी रात अकेली महिला के घर जाना बेतुका है. वो भी तब, जबकि घर में कोई पुरुष मौजूद नहीं है और वह घर में अकेली है.
हाई कोर्ट ने कहा कि नींबू के लिए किसी महिला का आधी रात दरवाजा खटखटाना और वो भी सीआईएसएफ जवान के लिए, पूरी तरह अशोभनीय है. यहीं नहीं कोर्ट ने इस हरकत के लिए सीनियर अधिकारियों की ओर से लगाए गए जुर्माने को भी रद्द करने से इनकार कर दिया.
जस्टिस नितिन जामदार और एमएम सथाये की पीठ CISF जवान की ओर से लगाई गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जुलाई 2021 से जून 2022 के बीच उसके सीनियर अधिकारियों द्वारा इस अनुचित व्यवहार के लिए जुर्माना लगाने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
इस कांस्टेबल ने साल 2013 में सर्विस ज्वाइन की थी. 19 अप्रैल, 2021 को जवान ने अपने पड़ोसी के घर का दरवाजा खटखटाया था. जिसमें एक महिला अपनी छह साल की बेटी के साथ रह रही थी. महिला का पति और जवान का सहकर्मी बंगाल में चुनाव ड्यूटी पर गया हुआ था और इस बात की जानकारी भी उसे थी.
कांस्टेबल को आधी रात देखकर महिला डर गई थी और उसने चेतावनी देते हुए धमकी दी थी, जिसके बाद सीआईएसएफ जवान अपने घर चला गया था. कांस्टेबल की इस हरकत की शिकायत महिला ने सीनियर अधिकारियों से की थी, जिसने विभागीय जांच शुरू की थी. आरोपी के खिलाफ आरोप यह था कि उसका अभद्र व्यवहार उत्पीड़न के समान था और यह घोर अनुशासनहीनता और कदाचार का संकेत हैं.
विभाग ने आरोपी कांस्टेबल को क्या सजा दी थी?
आरोपी जवान को सजा के रूप में तीन साल के लिए वेतन कम कर दिया गया था. इस दौरान सजा के तौर पर उसका इंक्रीमेंट नहीं होगा. विभागीय कार्यवाही में पाया गया कि घटना के समय आरोपी ने शराब भी पी थी.
सीआईएसएफ जवान ने अपने बचाव में कहा था कि मैं अस्वस्थ महसूस कर रहा था और पेट खराब होने की वजह से नींबू मांगने के लिए पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया था. उनके वकील ने कहा था कि पड़ोस में रहने वाले एक ही बिरादरी के व्यक्ति का दरवाजा खटखटाना कदाचार नहीं माना जा सकता है. अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी कांस्टेबल का आचरण निश्चित रूप से सीआईएसएफ कांस्टेबल के लिए अशोभनीय है. हालांकि उन पर लगाए गए आरोप स्पष्ट नहीं हो पाए हैं. कोर्ट की बेंच ने इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि यह घटना कदाचार की श्रेणी में नहीं आती है.

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