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भटके बाघ को रास्ता दिखाएगी बाघिन, वन विभाग बना रहा प्लान

Wild Bengal tiger walking, head on, in a forest track in the lush green forests of Ranthambhore national park in India.

बलौदाबाजार । महासमुंद के रास्ते भटक कर इन दिनों एक बाघ बलौदाबाजार वनमंडल के बारनवापारा के वन विकास निगम के क्षेत्र में भटक रहा है। बाघ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वन अफसर हर संभव कोशिश में जुटे हुए हैं। साथ ही बाघ के साथ किसी तरह से अनहोनी न हो, इसके लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन सुधीर अग्रवाल के निर्देश पर उसकी सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। बाघ की सुरक्षा के लिए तकनीकी उपाय भी किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बाघ को कोर एरिया में आने के लिए प्रेरिरत करने टाइग्रेस के यूरिन के प्रयोग किए जाने की जानकारी मिली है। गौरतलब है कि बाघ बलौदाबाजार वनमंडल के जिस एरिया में भटक रहा है,वहां घना जंगल होने के बजाय सामान्य वनक्षेत्र है। ऐसे में बाघ के रिहायशी क्षेत्र में घुसने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। बाघ पूरी तरह से सुरक्षित रहे, इसके लिए बाघ को घने वनक्षेत्र में ले जाना बेहद जरूरी है। सूत्रों के मुताबिक बाघ को बारनवापारा के कोर एरिया में आने के लिए प्रेरित करने जंगल सफारी की बाघिन की यूरिन का बाघ जिस क्षेत्र में विचरण कर रहा है, उस रास्ते से जंगल के कोर एरिया में स्प्रे किए जाने की जानकारी मिली है। इस संबंध में वन अफसर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं। दरअसल बाघ के अलावा अन्य प्रजाति के जीव, जंतु मल तथा यूरिन के माध्यम से अपने लिए साथी की तलाश करते हैं। अफसरों को उम्मीद है कि जिस क्षेत्र में बाघ भटक रहा है, उस क्षेत्र के पेड़ों में बाधिन के यूरिन का स्प्रे करने से बाघ कई किलोमीटर दूर से सूंघ सकता है और खिंचा चला आएगा। बारनवापारा में जिस स्थिति में बाघ पहुंचा है, वैसी ही स्थिति में मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व जो नाम का टाइगर रिजर्व रह गया था, वहां वर्ष 2008 में पेंच नेशनल पार्क से एक युवा बाघ भटकते हुए पहुंच गया था। साथी नहीं मिलने की स्थिति में बाघ वापस पेच लौट रहा था। इसके बाद वन अफसरों ने उस बाघ को ट्रैक्यूलाइज कर वापस पन्ना लाकर छोड़ा, इसके बाद कान्हा तथा बांधवगढ़ से दो मादा बाघ लाकर पन्ना में छोड़ा गया। इसके बाद दोनों मादा बाघ के यूरिन तथा मल को मिलाकर बाघ जिस क्षेत्र में रह रहा था, उस इलाके में छिड़काव किया गया। वर्तमान में पन्ना में बाघों की संख्या 50 से ज्यादा है। राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाने कुछ इसी तरह के प्रयास राज्य के वन अफसरों को करने होंगे।

साथी नहीं मिलने पर वापस चला जाएगा
वन्यजीवों के जानकारों के मुताबिक नर बाघ अपने लिए नए टेरिटरी की तलाश में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर किसी दूसरे राज्य के वनक्षेत्र में पहुंचता है। बाघ जिस नए क्षेत्र में पहुंचता है, वहां प्रे-बेस मिलने के साथ ही साथी की जरूरत पड़ती है। बारनवापारा में बाघ के लिहाज से प्रे-बेस बेहतर है, लेकिन बाघ को वहां मेटिंग के लिए साथी नहीं मिल पाएगा। ऐसी स्थिति में बाघ नए क्षेत्र की ओर पलायन कर जाएगा।

युवा होने की वजह से हर हाल में साथी
जानकारों के मुताबिक बाघ की उम्र महज चार से पांच साल के बीच है, ऐसे में बाघ को हर हाल में अपने लिए साथी की जरूरत पड़ेगी। बलौदाबाजार वनमंडल में बाघ की गतिविधियों को देखते हुए उसके यहां जून-जुलाई तक रहने की उम्मीद वन अफसरों को है। ऐसी स्थिति में ग्रामीणों को विश्वास में लेकर बाघ को कोर एरिया में ले जाने के बाद किसी दूसरे राज्य से मादा बाधिन लाकर छोड़ना चाहिए। इससे बारनवापारा से लेकर गोमर्डा अभयारण्य एक बार फिर से बाघों की बसाहट हो जाएगी।

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