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बालोद दीपक अब राजधानी में भी उपलब्ध

रायपुर। दीपावली का त्यौहार गोबर से बने बालोद दीपक से भी रोशन होगा। बालोद जिले के ग्राम गुजरा की संगम स्वसहायता समूह की महिलाएँ गोबर से रंगबिरंगे आकर्षक दीये बना रही हैं। इसका नाम बालोद दीपक रखा गया है। गोबर से बने बालोद दीपक का विक्रय राजधानी रायपुर सहित राज्य के अन्य जिलों में भी किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में गोबर से बने रंग-बिरंगे आकर्षक दीया, नारियल, कलश, स्वास्तिक, कछुआ दीया, गुल्लक आदि सामग्रियों की मांग निरंतर बढ़ रही है। गोबर से बने इन सामग्रियों का धार्मिक महत्व होने के साथ ही इससे पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी। संगम स्वसहायता समूह की सदस्यों ने बताया कि वे लगभग एक महिने पूर्व से गोबर के दीये बनाना शुरू किए हैं। अब तक पॉच हजार से भी अधिक दीया बना चुकी हैं और विक्रय भी शुरू कर दिया है। महिलाओं ने बताया कि वे गोबर के दीया के अलावा गोबर से स्वास्तिक, शुभ-लाभ व मोमबत्ती दीया भी बना रहे हैं। समूह की सदस्यों ने बताया कि एक दिन में लगभग एक हजार दिये बना लेते हैं। समूह द्वारा गोबर से सजावट की सामग्रियॉ भी निर्मित की जा रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के सहायक परियोजना अधिकारी ने बताया कि गोबर से दीये और अन्य सामग्रियों के निर्माण हेतु बालोद जिले के पॉचो विकासखण्ड में आजीविका गतिविधि संचालित की जा रही है, जिसमें पचास महिलाएँ शामिल हैं। जिनके द्वारा दीया, नारियल कलश, कछुआ दीया, गुल्लक आदि आकर्षक आकृति भी बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में अब तक पचास हजार दीये, पन्द्रह सौ ओम, पन्द्रह सौ श्री एवं दो हजार शुभ-लाभ तैयार किया जा चुका है।

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