राजनांदगांव। स्ट्रोक दिवस हर वर्ष 29 अक्टूबर को मनाया जाता है। स्ट्रोक ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को स्ट्रोक से होने वाले खतरों के प्रति आगाह करने के साथ-साथ ही उनको इससे बचाव के उपाय भी सुझाना है। विश्व स्ट्रोक संगठन के अनुसार स्ट्रोक का खतरा हर चार व्यक्तियों में से एक को होता है, इसलिए इस बार की थीम वह एक न बनें रखी गयी है। इस बारे में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया आज-कल लोग काफी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, क्योंकि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण किसी की नौकरी छूट गयी है तो किसी का व्यापार बंद हो गया है। ऐसे में उनको स्ट्रोक होने का जोखिम और अधिक है। इसलिए स्ट्रोक के प्रति अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। विश्व स्ट्रोक संगठन के अनुसार पूरी दुनिया में हर वर्ष लगभग 1.70 करोड़ लोग स्ट्रोक्स की समस्या का सामना करते हैं, जिसमें से 60 लाख लोग तो मर जाते हैं, जबकि 50 लाख लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं। दुनिया में होने वाली मौतों में स्ट्रोक दूसरा प्रमुख कारण है, जबकि विकलांगता होने का यह तीसरा प्रमुख कारण है। इतना गंभीर होने के बाबजूद भी कम से कम आधे से अधिक स्ट्रोक्स को लोगों में पर्याप्त जागरूकता पैदा कर रोका जा सकता है।
क्या है स्ट्रोक?
जब रक्त वाहिका नलिकायें किसी रुकावट या रिसाव के कारण मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति नहीं कर पाती हैं तो ऐसी स्थिति को स्ट्रोक कहते है। इसको ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है।
स्ट्रोक्स के लक्षणों को एफएएसटी रणनीति के माध्यम से आसानी से पहचाना जा सकता है:-
एफ-फेस : किसी व्यक्ति के मुस्कुराने पर उसका चेहरा एक तरफ लटक रहा है तो उसे स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।
ए-आर्म : किसी व्यक्ति द्वारा दोनों हाथों को उठाने पर एक हाथ का न उठ पाना या गिर जाना।
एस-स्पीच : यदि किसी व्यक्ति द्वारा साधारण शब्द बोलने पर उसकी आवाज में लडख़ड़ाहट होना।
टी-टाइम टू एक्शन : यदि आपको उपरोक्त में से कोई भी लक्षण है तो एम्बुलेंस के लिए आपातकालीन नंबर पर कॉल करें।