यह कथा हम सभी जानते हैं कि भृगुऋषि ने क्रोध में भगवान विष्णु की छाती पर पैर से प्रहार किया था. इस पर भगवान विष्णु ने विनम्रता से उन्हें पूछा कि ऋषिवर आपके पैर में कहीं चोट या मोच तो नहीं आई. इस दृश्य को महालक्ष्मी जी देख रहीं थीं. उन्होंने क्रोधातुर ऋषि से कह दिया कि अब वे उन पर कभी कृपा नहीं बरसाएंगी. इस कहानी से स्पष्ट समझ आता है कि जो व्यक्ति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता है. अतिरेक में गलती कर बैठता है. क्रोध कर बैठता उससे लक्ष्मीजी रुष्ट हो जाती हैं. हम सभी को भी लक्ष्मी जी की कृपा पानी है तो सहज जीवन में छोटी-बड़ी बातों पर क्रोध करना और अपनों से अभद्रता बचना चाहिए. करीबियों, मित्रों और रिश्तेदारों से विन्रमता से पेश आना चाहिए. समाज के सभी वर्ग के लोगों को आदरभाव से देखना चाहिए. क्रोध और अहंकार से लक्ष्मी की कृपा दूर हो जाती है. क्रोध दोधारी तलवार की तरह व्यक्ति और उससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों को नुकसान पहुंचाता है. सुख सामन्जस्य और शांति का्रेध से नष्ट हो जाते हैं. सब कुछ होकर भी व्यक्ति सुखभोग नहीं कर पाता है. सदा ही अपयश पाता है. क्रोध में व्यक्ति कुछ क्षणों के लिए निर्णय क्षमता खो देता है. उसे इस बात का आभास नहीं रहता कि वह जो कर रहा है वह सही है. ऐसे में भावावेश में सफलता का प्रतिशत शून्य हो जाता है. सफल लोगों के लिए यह आवश्यक है कि वे का्रेध को अपने फटकने न दें.
क्रोध पर रखेंगे नियंत्रण तो लक्ष्मीजी बरसाएंगी धन
February 14, 2021
132 Views
2 Min Read
You may also like
About the author
NEWSDESK
Cricket Score
Live COVID-19 statistics for
India
Confirmed
0
Recovered
0
Deaths
0
Last updated: 19 minutes ago