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कोरोना फिर मचाएगी तबाही, अप्रैल से फिर लगेगा टोटल लॉकडाउन

कोरोना संक्रमण पर दुनिया के लगभग सभी देशों ने लगाम लगा लिया है, लेकिन चीन में अभी भी हालात बद से बदतर है। यहां की सरकार जीरो कोविड पॉलिसी पर काम कर रही है, लेकिन संक्रमण थमने के बजाए तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, अमेरिकी रिसर्च कंपनी ने कोरोना को लेकर चीन के होश उड़ाने वाले दावे किए हैं। रिसर्च में दावा किया गया है कि साल 2023 में कोरोना फिर से तबाही मचाएगी। मिली जानकारी के अनुसार रिसर्च कंपनी ने ऐसा अनुमान लगाया है कि चीन में कोरोना के मामले अगले साल अप्रैल माह तक चरम पर होंगे। मौत का आंकड़ा 10 लाख से भी पार होगा। उस वक्त चीन की करीब एक तिहाई आबादी कोरोना से संक्रमित होगी। दरअसल, अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के नए अनुमानों के अनुसार, चीन के कड़े COVID-19 प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप 2023 तक मामलों का विस्फोट हो सकता है और 10 लाख से अधिक मौतें हो सकती हैं।

अनुमानों के अनुसार, चीन में मामले 1 अप्रैल के आसपास चरम पर होंगे, जब मौतें 322,000 तक पहुंच जाएंगी। आईएचएमई के निदेशक क्रिस्टोफर मरे ने कहा कि तब तक चीन की लगभग एक तिहाई आबादी संक्रमित हो चुकी होगी। उधर, चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने COVID प्रतिबंध हटाने के बाद से किसी भी आधिकारिक COVID मौत की सूचना नहीं दी है। अंतिम आधिकारिक मौत 3 दिसंबर को दर्ज की गई थी। अभी तक चीन में आधिकारिक मौत का आंकड़ा 5,235 है। चीन ने अभूतपूर्व सार्वजनिक विरोध के बाद दिसंबर में दुनिया के कुछ सबसे कठिन COVID प्रतिबंधों को हटा लिया और अब संक्रमण में वृद्धि का सामना कर रहा है। चीन में अब यह आशंका बढ़ गई है कि नये साल की छुट्टी के दौरान देश में कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में देश की 1.4 बिलियन की आबादी पर नया संकट मंडरा रहा है। मरे ने शुक्रवार को कहा, “किसी ने नहीं सोचा था कि कब तक वे कोविड-19 की जीरो पॉलिसी ​से बंधे रहेंगे।” उन्होंने कहा कि चीन की शून्य-कोविड ​​​​नीति वायरस के पहले के वैरिएंट को कंट्रोल में रख सकती है, लेकिन ओमिक्रोन वैरिएंट की संक्रमण दर ने इसे अब असंभव कर दिया है। दरअसल, अमेरिका के अलावा तमाम पश्चिमी देश चीन पर विदेशी और बेहतर कोरोना वैक्सीन की उपेक्षा करने का आरोप लगाते रहे हैं। अमेरिका ने हाल ही में कहा था कि चीन विदेशी वैक्सीनों को लेने से इनकार कर रहा है। वह सिर्फ अपने देश में बनी वैक्सीन के भरोसे है। जबकि, कोरोना के नए वैरिएंट के खिलाफ लड़ने में उसकी वैक्सीन उतनी कारगर नहीं है।

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