रायगढ़ एफसीआई ने एनएबीएल लैब टेस्ट के नाम पर तीन राइस मिलरों के स्टेक को ही अमानक कर दिया है। इस मामले में अब कडिय़ां जुड़ती जा रही हैं। दरअसल एफसीआई ने संबंधित रजिस्टर्ड एफआरके राइस निर्माता को कोई नोटिस ही नहीं दिया है जबकि यह मामला खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1954 के तहत आ रहा है। इस मामले की कड़ी ट्रांसपोर्टिंग बिलों के भुगतान से भी जुड़ रही है। एफसीआई के बिलासपुर मुख्यालय ने एनएबीएल टेस्ट के बाद रायगढ़, बरमकेला और सरसीवां के तीन राइस मिलरों की पूरी स्टेक को अमानक कर दिया था।
इसके बाद सारे राइस मिलर आक्रोशित हैं। इस कार्रवाई के पीछे भारतीय खाद्य निगम के अफसरों की संदेहास्पद भूमिका है। बताया जा रहा है कि वर्ष 15-16 के बाद परिवहन भाड़े के अंतर राशि का भुगतान भी एक बड़ा मसला है। प्रत्येक राइस मिलर को किए जाने वाले भुगतान के एवज में कुछ अवैध मांगें किए जाने की खबरें हैं। पिछले दो सालों का भुगतान भी सभी को नहीं हुआ है। चावल अमानक किए जाने के पीछे एफसीआई की दबाव बनाने की रणनीति है।
इसमें तीनों मिलरों को नोटिस दिया गया है। प्रावधानों के तहत मिलरों की मौजूदगी में दोबारा सैम्पलिंग भी की गई है। इसके पीछे बड़ा रैकेट सामने आ रहा है। केंद्र सरकार ने फोर्टिफाइड राइस निर्माताओं को एफएसएसएआई के तहत रजिस्ट्रेशन कराने की बाध्यता रखी है। चूंकि एफआरके प्रोडक्ट में पोषक तत्वों का मापदंड तय किया गया है। न्यूट्रीशन के मामले मतें तीनों मिलरों के चावल में मिलाए गए एफआरके चावल के दाने मानकों से नीचे पाए गए हैं।
मतलब आयरन, विटामिन और फोलिक एसिड जितना होना चाहिए उतना नहीं है। अब इसमें उन रजिस्टर्ड फर्म की भूमिका सामने आ गई है जो मिलरों को यह चावल सप्लाई करते हैैं। पूरी स्टेक ही बियॉन्ड रिजेक्शन लिमिट (बीआरएल) घोषित करने की वजह मिलर नहीं बल्कि वह फर्म है जिससे चावल खरीदा गया है। एफसीआई ने उन फर्मों को नोटिस तक नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि कमीशनखोरी का एक पूरा रैकेट इस प्रक्रिया में चलाया जा रहा है।
किससे खरीदा एफआरके – एफसीआई ने सिद्धिविनायक राइस मिल रायगढ़, श्री विष्णु एग्रो बरमकेला और शांति देवी राइस मिल सरसीवां के स्टेक को अमानक बताया है। मिली जानकारी के मुताबिक सिद्धिविनायक राईस मिल ने संजय ग्रेन्स रायपुर और राजश्यामा फ्लोर मिल रायगढ़ से एफआरके राइस खरीदा है। मतलब इन दोनों फर्मों के प्रोडक्ट में कमी हुई है। ये चावल पास करने के पीछे भी इन एफआरके फर्म की भूमिका होती है।
क्यों उठ रहे सवाल ? – एफीआई के क्वालिटी इंस्पेक्टर डिपो में ही चावल की जांच करके पास करते हैं। इसके बाद एनएबीएल टेस्ट में न्यूट्रीशन देखा जाता है। इस प्रक्रिया में राइस मिलर से ज्यादा भूमिका एफआरके मैन्युफैक्चरर की है। सूत्रों के मुताबिक एफसीआई मुख्यालय में चावल को पास कराने के लिए दलाल भी सक्रिय हैं। एफआरके फर्म से लेकर कई राइस मिलर इस सिंडीकेट में शामिल हो चुके हैं। पुराने बिलों को पास करने के लिए लेन-देन की भी जानकारी मिल रही है।