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मशरूम की खेती बना त्रिवेणी के लिए अतिरिक्त आय का जरिया

सफलता की कहानी

गरियाबंद. छत्तीसगढ़ सरकार के पहल से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं पहले से अधिक उन्नति और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहीं है। आज गांव की महिलाएं छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से कई तरह के रोजगारमूलक कार्य कर रही हैं। इससे एक ओर उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है, वहीं दूसरी ओर आत्मनिर्भर बन रहीं है। जिले के ग्राम जेंजरा निवासी श्रीमती त्रिवेणी साहू ने एक ऐसी ही आत्मनिर्भरता की मिशाल पेश की है। त्रिवेणी ने अपने दृढ़ विश्वास, मेहनत और लगन से लगभग 1 वर्ष पूर्व मशरूम उत्पादन करना शुरू किया है। वे अपने घर के एक कमरे में मशरूम का उत्पादन करती हैं। त्रिवेणी बताती है कि मशरूम की खेती से मुझे अच्छा मुनाफ़ा हुआ है। इससे परिवार को आर्थिक रूप से संबल मिला और अतिरिक्त आय का जरिया भी बना हुआ है। मशरूम की खेती से मुझे अब तक 60 हजार से अधिक की आमदनी हुई है। उन्होंने बताया कि आस-पास के क्षेत्र में मशरूम की मांग अधिक है, इसलिए यह आसानी से बिक भी जाता है। वे अब तक मशरूम की चार फसल तैयार कर चुकी है। मशरूम की खेती से मिलने वाले मुनाफ़े से परिवार का खर्चा आसानी से चल रहा है। त्रिवेणी आगे बताती है कि छत्तीसगढ़ सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए उन्होंने शासन-प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित किया। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार की पहल से गांव की महिलाएं मशरूम उत्पादन कर न सिर्फ अपनी आय बढ़ा रही हैं बल्कि इससे दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बन रही हैं। पूर्व में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मजदूरी और खेती सब्जी बाड़ी को ही आय का महत्वपूर्ण साधन समझती थी। अब वे अपनी सोच में बदलाव लाकर मशरूम उत्पादन कर अच्छा आय अर्जित कर रही हैं।

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