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कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की नवीन उन्नत किस्म ‘‘भाव्या’’ विमोचित

महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्यों में खेती के लिए अनुशंसित

गंगई, झुलसा तथा ब्लास्ट रोगों के प्रति सहनशील तथा विपुल उत्पादन देने वाली किस्म है भाव्या

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की नवीन उन्नत किस्म भाव्या धान को महाराष्ट्र एवं गुजरात में खेती के लिए जारी करने का निर्णय किया गया है। भारतीय धान अनुसंधान परिषद द्वारा असम कृषि विश्वविद्यालय जोरहट में आयोजित 58वीं धान अनुसंधान परियोजना की वार्षिक समूह बैठक में यह निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ भाव्या धान विपुल उत्पादन देने वाली किस्म है तथा इसके दाने मध्यम पतले होते हैं। यह किस्म गंगई एवं झुलसा रोग तथा ब्लास्ट के लिए सहनशील है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा यह मध्यम अवधि (130-135 दिन) की किस्म है। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न केन्द्रों में लगातार 3 वर्षाें तक प्रयोग के पश्चात इस किस्म को विमोचन के लिए चुना गया है। आने वाले वर्षाें में इसके बीज किसानों को खेती के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। इस किस्म का विकास आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग इंदिरा गाध्ंाी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. गिरीश चंदेल ने इस उपलब्धि हेतु विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

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