रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित चिराग परियोजना के तकनीकी सहायक संस्था इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा ‘‘पर्यावरण एवं सामाजिक प्रबंधन’’ विषय पर कृषि महाविद्यालय रायपुर में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवायें डॉ. विवेक त्रिपाठी थे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. जी. के. दास उपस्थित थे। इस अवसर पर पर्यावरण एवं सामाजिक प्रबंधन कार्यक्रम का प्रशिक्षण नियमावली का विमोचन किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने उद्बोधन में कहा कि हमें पर्यावरण का संरक्षण करते हुए समाज का विकास करना चाहिए। वर्षा, जलवायु, एवं फसल पद्धति की स्थिति को ध्यान में रखकर कृषि कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में पर्यावरण की स्थिति काफी अच्छी है, परन्तु हमें जंगल कटाई, जलप्रदूषण एवं मृदा क्षरण को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. जी. के. दास ने कहा कि ग्रीन हाऊस गैस, समसमायिकी को ध्यान में रख कर कार्य करना है क्योंकि जलवायु और समाज दोनों का घनिष्ठ संबंध है। उन्होंने कहा कि यदि हम विकास की ओर अग्रसर होंगे तो निश्चित ही प्रकृति का संतुलन प्रभावित होगा, इसलिए हमें राज्य की जलवायु, समाज की स्थिति, संस्कृति और परम्पराओं को ध्यान में रखकर ही कार्य करना होगा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष एवं टीम लीडर टी.एस.ए., चिराग डॉ. के. एल. नन्देहा ने कहा कि चिराग परियोजना अन्य परियोजनाओं से बहुत ही भिन्न है क्यांकि इसमें ग्रीन हाऊस गैसों, पर्यावरण एवं जलवायु को ध्यान में रखकर कृषि पद्धति का उद्देश्य समाहित है। इस परियोजना में ऐसी कोई भी क्रियाकलाप नहीं करना जिससे मानव सभ्यता एवं पर्यावरण को हानि पहुंचे। इस दो दिवसीय प्रशिक्षण में लगभग पचहत्तर प्रतिभागियों को पर्यावरण एवं सामाजिक प्रबंधन पर प्रशिक्षण विस्तार पूर्वक दिया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. गौतम रॉय, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र रायपुर, कार्यक्रम समन्वयक, डॉ. नरेन्द्र पाण्डे, श्रीमती भावना साहू पर्यावरण एवं सामाजिक अधिकारी, अनुसंधान सहायक चिराग एवं सभी परियोजना क्षेत्र से आए सीनियर रिसर्चफेलो, चिराग, राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई रायपुर, ग्रामीण विकास ट्रस्ट और कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक एवं सदस्यगण उपस्थित रहे।