चन्द्रभूषण वर्मा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 19 मई की शाम को एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए 2000 के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला लिया है। आपको याद होगा ये नोट सन् 2016 में नवंबर महीने में नोटबंदी के बाद ही जारी किए गए थे। जिसे अब वैधानिक रूप से चलन से बाहर करने का फैसला लिया गया है। हालांकि इस बार इसके लिए पर्याप्त समय दिया गया है, ताकि लोग अपने पास रखे 2000 के नोट बैंकों में एक्सचेंज करवा सकें। वैसा देखा जाए तो आरबीआई का ये फैसला बिल्कुल तर्कसंगत है। क्योंकि इतने बड़े नोट जनता को सुविधा कम और परेशानियां ज्यादा दे रहे थे। आम जनमानस से लेकर चिल्हर व्यापारियों तक इसके लेन-देन में काफी दिक्कतें आ रही थी। 100 रुपए के सामान के बदले 2000 का चिल्हर भला कौन देना चाहेगा, लेकिन ये जनता की परेशानी ही ज्यादा थी कि वो चिल्हर लेकर आए या फिर ज्यादा खर्च करे। यह इस मामले में भी काफी महत्वपूर्ण है इससे कैशलेस ट्रांजेक्शन को भी बढ़ावा मिलेगा। जैसा कि आप जानते ही हैं कि आरबीआई ने बैंकों को सलाह दी है कि वे तत्काल प्रभाव से 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंकनोट जारी करना बंद करें। हालांकि 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे। जानकारी के मुताबिक, क्लीन नोट पॉलिसी के तहत आरबीआई ने यह फैसला लिया है। आरबीआई ने कहा है कि यह नोट 30 सितंबर तक कानूनी रूप से वैध रहेंगे। आरबीआई ने नवंबर 2016 में आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 24(1) के तहत ये नोट निकाले थे। रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद इन नोटों को जारी किया था। यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि उस समय 500 और 1000 रुपये के जो नोट चलन से हटाए गए थे, उनका बाजार और अर्थव्यवस्था पर असर कम किया जा सके। जब दूसरे मूल्य के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए, तब दो हजार रुपये को चलन में लाने का उद्देश्य पूरा हो गया। आरबीआई ने कहा कि 2000 रुपये के बैंक नोटों को लाने के उद्देश्य के एक बार पूरा हो जाने के बाद 2018-19 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी। उस समय तक अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए थे। आरबीआई ने यह भी बताया है कि मार्च 2017 से पहले 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में से लगभग 89 प्रतिशत जारी किए गए थे। अब लोग दो हजार रुपये के नोट बैंक खातों में जमा करा सकेंगे या फिर उन्हें अन्य मूल्य के नोटों के साथ किसी भी बैंक शाखा में जाकर एक्सचेंज करा सकेंगे। लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि एक बार में अधिकतम 20 हजार रुपये मूल्य के नोट बदलवाए जाए सकेंगे। यह प्रक्रिया 23 मई से शुरू होगी और 30 सितंबर 2023 को खत्म होगी। एक बात और, आप शायद इस बात पर यकीन ना करें, लेकिन ये सच है कि एक जमाने में भारत में 1 लाख रुपये का नोट भी छप चुका है. जी हां, इसे देखना तो दूर कई लोगों ने इस बारे में सुना तक नहीं होगा। आरबीआई की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1938 और 1954 में 10,000 रुपये के नोट भी छापे गए थे. हालांकि, 1946 में हुई नोटबंदी के तहत इन नोटों (1,000 रुपये और 10,000 रुपये) को बंद कर दिया गया था. बाद में, इन बैंक नोट (1000 रुपये, 5000 रुपये और 10000 रुपये) को 1954 में फिर से लागू किया गया था. मोरारजी देसाई सरकार ने 1978 में इन नोटों का विमुद्रीकरण किया था. उसके बाद से इन नोटों को फिर से शुरु नही किया गया। अब सवाल यह है कि आरबीआई को ये नोट आखिर क्यों बंद करना पड़ा? इसके पीछे आरबीआई ने कई कारण गिनाएं हैं। और इसके लिए प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो गई थी। बीच-बीच में इसे लेकर समाचार भी आते रहे, लेकिन अंतत: शुक्रवार को इसे लेकर बड़ा फैसला आ गया। आरबीआई के मुताबिक दो हजार रुपए के नोट का बेहद कम ट्रांजेक्शन हो रहा था. वहीं, पब्लिक की नोट की डिमांड को पूरा करने के लिए आरबीआई के पास 100, 200 और 500 रुपए के बैंकनोट का पर्याप्त स्टॉक है। आरबीआई ने अपनी क्लीन नोट पॉलिसी के तहत दो हजार रुपए के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला लिया है. आरबीआई ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा है कि साल 2013-14 में भी उन्होंने ऐसे ही कुछ नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. वहीं, आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि ग्रामीण,सुदूर इलाकों में जहां बैंक नहीं है वहां बैंक जरूरी पडऩे पर मोबाइल वैन के सहारे नोट बदलवाने में लोगों की मदद कर सकती हैं. आपको बता दें कि आठ नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने 500 और एक हजार रुपए के नोट की कानूनी वैधता खत्म करने की घोषणा की थी. इसे नोटबंदी कहा गया था. इसके बाद दो हजार रुपए बाजार में आए थे। कुल मिलाकर देखा जाए तो आरबीआई का यह फैसला बिल्कुल तर्कसंगत और स्वागतयोग्य है। इससे आम जनता को काफी सहूलियत होगी और बड़़े पैमाने पर जो ऐसे नोटों का स्टॉक कर रखे हुए हैं, उनके नोट भी बाहर आएंगे।