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चीता की मौतों पर चिंता जायज

  • चन्द्रभूषण वर्मा
    कूनो नेशनल पार्क में पिछले 6 महीने में 6 चीतों की मौत हो चुकी है। चीतों की मौत ने वन्य जीव प्रेमियों को मायूस किया है। इसके अलावा प्रोजेक्ट चीता पर भी सवाल उठ रहे हैं। कुछ एक्सपर्टे्स का कहना है कि चीतों को यहां के मौसम और परिवेश में दिक्कत हो रही है। वैसे एक के बाद 6 चीता की मौत ने सभी को चिंता में डाल दिया है और चिंता जायज भी है। अब नामीबिया से आए इन चीतों की मौत ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। आखिर क्या वजह है कि है कि 6 महीने में 6 चीतों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सवाल तो यह भी उठ रहे हैं कि शायद गर्मी या पोषण की कमी के चलते चीतों की मौत हुई होगी? पर ये गंभीर चिंता का विषय है कि 2 महीने में 6 चीता काल के गाल में समा गए।
    आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में गुरुवार (25 मई) को दो और शावकों की मौत हो गई. इससे पहले एक और शावक की मौत कूनो नेशनल पार्क में हुई थी. एक और शावक की हालत गंभीर बनी हुई है, उसे निगरानी में रखा गया है. ये सभी शावक मादा चीता ‘ज्वाला’ के बच्चे हैं. इन तीन शावकों की मौत को मिलाकर पिछले 2 महीनों में अफ्रीकी देशों से भारत आए कुल 6 चीतों की मौत हो चुकी है. पहले 3 चीतों की मृत्यु अलग-अलग कारणों से हुई थी।
    जैसा कि मीडिया में जानकारी आ रही है, चीता के तीन शावकों की मौत की वजह अब तक ज्यादा गर्मी बताई जा रही है। कुनो नेशनल पार्क द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार भी 23 मई इस मौसम का सबसे गर्म दिन था. दिन चढऩे के साथ लू बढ़ी और तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और ज्वाला के शावकों की तबीयत खराब होती चली गई। बीमार चल रहे शावक को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है. उसे कम से कम 1 महीना ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा. पिछले दो दिनों के मुकाबले उसकी हालत में सुधार है. लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं है. शावक को मां ज्वाला से भी 1 महीने तक दूर रखा जाएगा. ये भी बताया गया कि ज्वाला के सभी शावक बहुत कमजोर पैदा हुए थे।
    कारण चाहे जो भी हो, लेकिन इतनी संख्या में चीतों की मौत चिंता का विषय है। चीतों की मौत ने साउथ अफ्रीका से चीते लाकर भारत के जंगलों को आबाद करने के इस प्रॉजेक्ट को सवालों के घेरे में भी ला दिया है। इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट के तहत नामीबिया से 20 चीते लाए गए थे और यहां आने के बाद 27 मार्च को ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। लेकिन पिछले छह महीने में पहले तीन चीतों की मौत हुई और फिर तीन शावक भी जीवित नहीं रह सके।
    बहरहाल, रिपोर्ट के अनुसार, इस समय दुनिया भर में चीतों की संख्या लगभग 7,000 है. इनमें से आधे से ज़्यादा चीते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में मौजूद हैं। 17 दिसंबर 2022 को प्रोजक्ट चीता के तहत आठ चीतों की पहली खेप नामीबिया से भारत लाई गई थी. इनकी निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे जंगल के बड़े हिस्से में लगाए गए थे. कंट्रोल रूम बनाया गया था. जहां से रात-दिन इन पर नजर रखी जा सके. हर चीते के गले में कॉलर लगाया गया था. जिससे उसके हर पहलू पर निगरानी की जा सके. इसके बावजूद भी लगातार चीतों की मौत वाकई गंभीर चिंता का विषय है। वन विभाग, जीव विज्ञानी सहित तमाम तरह के जानकर भी इस कोशिश में लगे हुए हैं कि अब चीतों को संरक्षित और सुरक्षित कैसे रखा जाए। चीतों की मौत ने कई सवाल भी उठाए हैं, जैसे क्या वाकई यहां के वातावरण में वे असहज महसूस कर रहे हैं या फिर भीषण गर्मी से वे असमय काल के गाल में समा रहे हैं। वजह चाहे जो भी हो, हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि अब बाकी चीतों को संरक्षित किया जाए। बहुत ही बारीकी से उनकी एक-एक गतिविधियों की निगरानी की जाए और आवश्यकता पडऩे पर तत्काल सुविधाएं मुहैया कराई जाए, तभी हम चीतों को बचाने में सफल हो सकेंगे।

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