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गर्मी और धूप के कारण बढ़ रही है आंखों की बीमारी… होने वाले इंफेक्शन से ऐसे करें बचाव…

भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप की वजह से शरीर में कई तरह की दिक्कतें शुरू हो जाती है. कभी शरीर में पानी कमी तो वहीं आंखों में कई तरह के इंफेक्शन भी हो जाते हैं. आइए आज विस्तार से बात करेंगे कि हीट वेव के कारण आंखों पर क्या असर पड़ता है?
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-नोएगा में गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. पारा 45 के पार पहुंच चुका है. ऐसे में हीट वेव की चपेट में शरीर का जो अंग आ रहा है उसे काफी दिक्कते हो रही है. चिलचिलाती धूप के सीधा संपर्क में आने से आंखों का भी बुरा हाल हो गया है. लोग अपने शरीर पर सन्सक्रीन तो मास्क लगा लेते हैं लेकिन आंखों का केयर करना भूल जाते हैं.
‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इनवायरमेंटल हेल्थ एंड पब्लिक हेल्थ’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक ज्यादा गर्मी से आंखों में इंफेक्शन का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. यही कारण है कि गर्मियों में आंखों का खास ख्याल रखने की जरूरत है. अब सवाल यह उठता है कि गर्मी में ऐसा क्या करें कि हीट स्ट्रोक और आंखों में होने वाले इंफेक्शन से बचा जा सके.
हीट वेव के कारण आंखों पर दिखते हैं ये खतरनाक लक्षण
आंखों का ड्राय होना
अगर आपकी आंखों में जलन हो रही है तो यह भी इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं. दरअसल, गर्मी के कारण अक्सर अक्सर आंखों में जलन होने लगती है. गर्म हवा के कारण आंखों की नमी चली जाती है. जिसके कारण आंखें ड्राय होने का रिस्क बढ़ जाता है.
आंख में एलर्जी
अगर आपके आंखों से लगातार पानी गिर रहा है. या आपको धुंधला दिखाई दे रहा है तो यह आंखों में एलर्जी का कारण हो सकता है.
आंखों में सूजन
तेज गर्मी और धूप के कारण अक्सर आंखों में जलन और खुजली होने लगती है. जिसके कारण आंखों में सूजन आ जाती है. लगातार आंखों से पानी बहन भी इंफेक्शन के गंभीर लक्षण हो सकते हैं.
गर्मी के मौसम में आंख से जुड़ी हो सकती है ये बीमारियां जैसे- वायरल कंजंक्टिवाइटिस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन होती है. यह इंफेक्शन अगर एक बार किसी को हो जाए है उसकी आंखें सूजने लगती है. जिसके कारण लोगों को ब्लर दिखाई देने लगता है. इसके संपर्क में आने से कोई भी संक्रमित हो सकता है.
टेरिजियम
टेरिजियम एक ऐसी हेल्थ कंडीशन होती है जिसमें आंखों के अंदर के सेल्स में काफी ज्यादा ग्रोथ होने लगती है. जिसके कारण लोगों का विजन कम होने लगता है. आंखें अल्ट्रावॉयलेट किरणों के सीधा संपर्क में आती है. इसके कारण टेरिजियम का खतरा बढ़ता है.

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