भारत, अमरीका और चीन 2009 से 2019 के बीच पर्यटन उत्सजर्न में 60 प्रतिशत वृद्धि के लिए जिम्मेदार थे, जिसका मुख्य कारण जनसंख्या और यात्र मांग में काफी बढ़ौतरी थी। एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। ‘नेचर कम्यूनिकेशंस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि पिछले दशक में चीन के घरेलू पर्यटन व्यय में प्रति वर्ष 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, तथा वैश्विक उत्सजर्न में 0.4 गीगाटन का इजाफा हुआ, जिसके बाद अमरीका (0.2 गीगाटन) और भारत (0.1 गीगाटन) में घरेलू पर्यटन में वृद्धि हुई। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में कहा गया है कि बढ़ती आय का स्तर भी एक प्रेरक कारक हो सकता है, खासकर उभरती हुई आíथक शक्तियों चीन और भारत में। उन्होंने 2009-2019 के दौरान 175 देशों की अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू यात्र पर नजर रखी और पाया कि पर्यटन से ग्रीनहाउस गैस उत्सजर्न बाकी वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में दोगुना से अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है।
इसमें पता चला कि पर्यटन से कार्बन उत्सजर्न 3.7 गीगाटन से बढ़कर 5.2 गीगाटन हो गया है- जिसमें अधिकांश उत्सजर्न विमानन और निजी वाहनों से हो रहा है।
क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के बिजनैस स्कूल में एसोसिएट प्रोफैसर या-येन सन के अनुसार, पर्यटन की मांग में तीव्र वृद्धि के कारण पर्यटन से होने वाला कार्बन उत्सजर्न दुनिया के कुल उत्सजर्न का 9 प्रतिशत हो गया है। शोध में कहा गया है कि 3 देशों अमरीका, चीन और भारत – में घरेलू यात्र में इजाफा उत्सजर्न में कुल वृद्धि में सबसे अधिक योगदान दे रहा है।