पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। उसने अब भारत की मूल बासमती चावल की किस्में चुरानी शुरू कर दी हैं। भारत से इन बासमती के धान की तस्करी पाकिस्तान को जाती है। इन्हीं को उगाकर पाकिस्तान अब अपना बताने में लगा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों और अपने देश के निर्यातकों ने पाकिस्तान में उन्नत बासमती चावल की अलग-अलग किस्मों की अवैध खेती से जुड़े खतरों पर सरकार को कई बार आगाह किया है। हाल ही में बासमती की एक किस्म के पाकिस्तान के अपना बताने का झूठ बेनकाब हो गया है। भारत की बासमती की पाइरेटेड किस्में पाकिस्तान में उगाई जा रही हैं।
यूरोप की लैबोरेट्री के साथ-साथ भारत की लेबोरेट्री में भी पाकिस्तान का झूठ पकड़ में आ गया है। यूरोप की लैब में पाकिस्तान हुआ बेनकाबभारत ने को बताया है कि पाकिस्तान भारतीय बासमती किस्मों को अवैध रूप से उगा रहा है और इस संबंध में यूरोपीय लैब में किए गए डीएनए टेस्ट के सबूत दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान में उगाई जाने वाली बासमती किस्मों के डीएनए का यूरोपीय लैब में टेस्ट कराया था। नतीजे में यह पता चला कि वे पाकिस्तान में अवैध रूप से उगाई जाने वाली भारतीय किस्में हैं।क्यों कराए गए ये टेस्ट, पाक को मुंहतोड़ जवाबये टेस्ट कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने कराए हैं। ये टेस्ट इसलिए कराए गए क्योंकि पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल के लिए पीजीआई टैग देने का आवेदन दिया था जिसका भारत में विरोध किया था और सबूत के तौर पर बासमती की टेस्टिंग कराई गई थी। भारत कितना बासमती विदेशियों को खिलाता है भारत सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये का बासमती निर्यात करता है। वैश्विक बाजार में बासमती चावल प्रीमियम श्रेणी में आता है और उसकी कीमत सामान्य चावल किस्मों से दोगुना तक होती है। यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और खाड़ी के मिडिल ईस्ट देशों में बासमती बाजार में पाकिस्तान और भारत के बीच प्रतिस्पर्धा रहती है। जहां भारत में लगातार बासमती पर शोध के जरिये बेहतर उत्पादकता और गुणवत्ता की किस्में विकसित की गई हैं पाकिस्तान में इस स्तर पर काम नहीं हुआ है। यही वजह है कि पाकिस्तान में भारत की बासमती धान की किस्मों की पाइरेसी कर इनको अवैध तरीके से उगाया जा रहा है। जिससे भारत के बासमती कारोबार को नुकसान पहुंचा रहा है।पाकिस्तान में इनकी किस्मों की खेती अवैध तरीके सेपाकिस्तान में भारतीय धान की पुरानी किस्मों के अलावा हाल में रिलीज नई किस्मों पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885 की खेती भी अवैध तरीके से की जा रही है। करीब डेढ़ साल पहले यह मामला सामने आया था और उसके बाद से ही भारतीय एजेंसियां सक्रिय हो गई थी। अब डीएनए जांच में पाकिस्तान द्वारा भारतीय किस्मों का उत्पादन करने की बात साबित होने से उसके निर्यात पर रोक लगाने में मदद मिल सकती है। इस मामले की अंतरराष्ट्रीय फोरम पर शिकायत और समाधान के प्रयास तेज होने की संभावना है।यूरोप की लैब में डीएनए टेस्ट में फेल पाकिस्तानयूरोप की एक प्रतिष्ठित लैब में हुए डीएनए टैस्ट में यह साबित हो गया है कि पाकिस्तान भारत की बासमती किस्मों का टाइटल मोडिफाई कर गैर-कानूनी तरीके से उगा रहा है और उनका निर्यात कर रहा है। बासमती की टेस्टिंग के लिए एक प्रोटोकॉल तय है और उसी के तहत यह जांच कराई गई। इस प्रोटोकॉल को रिंग ट्रायल कहा जाता है जिसमें दुनिया की 11 लैबोरेट्री शामिल हैं। इनसे से एक लेबोरेट्री भारत में हैदराबाद में स्थित है। इस प्रकार की जांच में एक ही सैंपल को अलग-अलग लैबोरेट्री में भेजा जाता है। सभी लैब में डाटा शेयरिंग के साथ कोडिंग भी शेयर होती है। इस जांच में साबित हुआ है कि पाकिस्तान द्वारा भारत की बासमती किस्मों को उगाया जा रहा है। भारत ने पाकिस्तान के पीजीआई टैग आवेदन का विरोध किया है। यूरोपीय लैब में किए गए डीएनए टेस्ट के रिजल्ट उपलब्ध कराए हैं। इसके अलावा, एपीडा ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वीडियो भी पेश किए हैं, जिसमें पाकिस्तान के किसानों और व्यापारियों ने खुलकर कहा है कि वे भारत की 1121 और 1509 पूसा बासमती किस्मों की खेती कर रहे हैं। मुल्तान, बहावलनगर में भारतीय बासमती का जलवाबीते साल पाकिस्तान के मुल्तान, बहावलनगर और हफीजाबाद इलाकों से कुछ बीज कंपनियों की तरफ से प्रमोशनल यूट्यूब वीडियोज बनाए गए। इन वीडियोज में हाल ही में जारी किए गए आईएआरआई वैराइटीज की विशेषता वाले बासमती बीजों का जिक्र था। इन्हीं वीडियोज के सामने आने के बाद से भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने कानूनी कार्रवाई की मांग की। जिस खतरे की बात वैज्ञानिक और एक्सपोर्टर्स कर रहे हैं, वो दरअसल विकसित बासमती चावल की हाई-यील्डिंग वैराइटीज यानी ज्यादा उपज वाली बीजों की पाकिस्तान में कथित चोरी और गैरकानूनी खेती से संबंधित है। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी के डेटा के मुताबिक, साल 2023 में चावल की खेती करीब 21 लाख हेक्टेयर में हुई. इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की इन हाई-यील्डिंग वैराइटी का हिस्सा करीब 89 फीसदी था। पूसा बासमती (पीबी) लेबल से जानी जाने वाली इन वैराइटीज की देश के 5-5.5 अरब डॉलर के वार्षिक बासमती निर्यात में 90% से अधिक हिस्सेदारी है। पाकिस्तान में भारतीय बासमती को अपना बताया पीबी-1, पीबी-1121, पीबी-6, पीबी-1509, पीबी-1121, पीबी-1509 और पीबी-6 के एडवांस्ड वर्जन्स के बीज को पाकिस्तान में नाम बदलकर प्रचारित किया जा रहा है। हाल ही में पाकिस्तानी बीज कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों और कृषि सलाहकारों के यूट्यूब वीडियो आए जिनमें नई आईएआरआई वैराइटीज की बीजों पर चर्चा की गई। इसमें पीबी-1847, पीबी-1885 और पीबी-1886 शामिल हैं। जनवरी 2022 में ही भारत के बीज अधिनियम के तहत इन बीजों की वैराइटीज को नोटिफाई किया गया था।पाकिस्तानी निर्यात से भारत को नुकसानपाकिस्तान इस चावल को बड़े पैमाने पर निर्यात कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन है। ऐसे कामों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई मजबूत कानून नहीं हैं। एक ही चावल का नमूना सभी प्रयोगशालाओं को भेजा गया, जिसमें डेटा और कोडिंग साझा की गई थी। इन टेस्टों से पता चला कि पाकिस्तान में भारतीय बासमती किस्मों की चोरी हो रही है। पूसा के वैज्ञानिकों के अनुसार, जैसे ही भारत में कोई नई चावल की किस्म आती है, वह किसी न किसी तरह पाकिस्तान पहुंच जाती है। भारत हर साल लगभग 50,000 करोड़ रुपये का बासमती चावल निर्यात करता है। बासमती चावल की वैश्विक बाजारों में बहुत मांग है और यह सामान्य चावल किस्मों की तुलना में लगभग दोगुने दाम पर बिकता है।भारत के बीजों को कानूनी तमगा, पाइरेटेड बीज अवैधयूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मध्य पूर्व जैसे बाजारों में भारत और पाकिस्तान के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत ने लगातार रिसर्च करके अपनी उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाई है, जबकि पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया है। भारत में विकसित किस्मों को भारतीय बीज अधिनियम, 1966 और पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत नोटिफाई किया गया है। इन कानूनों के तहत भारतीय किसानों को इन बीजों को उगाने का विशेष अधिकार है। इसके बावजूद, कुछ भारतीय बासमती किस्मों को पाकिस्तान में उगाया जा रहा है। भारत सरकार पाकिस्तान द्वारा बासमती चावल की ‘पाइरेटेड’ किस्मों की खेती और निर्यात के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। भारत WIPO में शिकायत दर्ज कराएगा और पाकिस्तान में इन किस्मों की खेती पर रोक लगाने की कोशिश करेगा। भारत का कहना है कि पाकिस्तान अवैध रूप से भारतीय बीजों का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे भारतीय किसानों और निर्यातकों को नुकसान हो रहा है। IARI द्वारा विकसित किस्मों में क्या खास है?पहले की बासमती किस्में, जैसे कि तरावड़ी (HBC-19), देहरादून (Type-3), CSR-30 और बासमती-370, कम उपज देती थीं। ये किस्में नर्सरी में बुवाई से लेकर कटाई तक 155-160 दिनों में प्रति एकड़ मुश्किल से 10 क्विंटल धान (भूसी वाला चावल) का उत्पादन करती थीं। IARI की किस्में, जिनकी ऊंचाई कम होती है, अधिक अनाज देती हैं और कम दिनों में पक जाती हैं। IARI की पहली किस्म PB-1, जिसे 1989 में व्यावसायिक खेती के लिए जारी किया गया था, 25-26 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती थी और 135-140 दिनों में पक जाती थी।ये है पूरा पाइरेटेड बासमती का मामलाPB-1121 को 2013 में पाकिस्तान में ‘PK-1121 एरोमैटिक’ किस्म के रूप में ‘जारी’ किया गया था। इसे कैनात 1121 बासमती (‘कैनात’ का उर्दू में अर्थ ‘ब्रह्मांड’ है) के रूप में बेचा गया। इसी तरह, PB-1509 को 2016 में किसान बासमती के रूप में पंजीकृत और नाम दिया गया। IARI किस्मों जिनमें PB-1847, PB-1885 और PB-1886 शामिल हैं, जिन्हें भारत के बीज अधिनियम के तहत जनवरी 2022 में ही अधिसूचित किया जा चुका है। भारत की बासमती सऊदी अरब, ईरान को भाती हैभारत सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य पश्चिम एशियाई देशों में बासमती का लीडर है। इसका मुख्य कारण वहां के उपभोक्ताओं को उसना बासमती चावल पसंद है। इस चावल में धान को पानी में भिगोया जाता है और मिलिंग से पहले भूसी में आंशिक रूप से उबाला जाता है। इससे चावल के दाने सख्त हो जाते हैं, जो लंबे समय तक पकाने के बाद भी सामान्य सफेद चावल की तुलना में कम टूटते हैं। हालांकि, पाकिस्तान की मिलें तेजी से उसना तकनीक अपना रही हैं और उसके किसान बेहतर IARI बासमती किस्मों की खेती कर रहे हैं, इसलिए आगे चलकर चुनौतियां आ सकती हैं।