Wednesday, December 10

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में सड़क से संसद तक चल रहे संग्राम के मध्य भारत के पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उठे सवालों के जवाब दे रहे हैं। उन्होंने बोला कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देशवासियों की संकल्पशक्ति का परिचायक है। मोदी ने कहा कि आज जब हम भारत की बात करते हैं तो मैं स्वामी विवेकानंद जी की बात को याद करना चाहूंगा। हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है, प्रत्येक राष्ट्र का एक मिशन होता है, जो उसे प्राप्त करना होता है, हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वो प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ये कहते थे कि भारत एक चमत्कारिक लोकतंत्र है। हमने इस भ्रम को हमने तोड़ा है। लोकतंत्र हमारी रगों और सांस में बुना हुआ है, हमारी हर सोच, प्रत्येक पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है। उन्होंने बोला कि भारत जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही बलते थे कि भारत अनेक देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना सकेगा। परंतु भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। विश्व हेतु आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं। उन्होंने बोला कि कोरोना संकट काल में देश ने अपना रास्ता चुना और आज हम विश्व के समक्ष मजबूती से खड़े हैं। इस दौरान भारत सभी भ्रमों को तोड़कर आगे बढ़ा है। आत्मनिर्भर भारत ने एक के पश्चात एक कदम उठाए हैं। यही नहीं भारत ने विश्व के शेष देशों की भी सहायता की है। उन्होंने बोला कि आत्मनिर्भर भारत ने एक के पश्चात एक कदम उठाए हैं। यही नहीं भारत ने दुनिया के बाकी देशों की भी सहायता की है। देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है एवं कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना सकेगा। किंतु भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। दुनिया हेतु आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं।

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