Thursday, December 11

महाशिवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है. भगवान शिव की पूजा से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. महाशिवरात्रि का पर्व पंचांग के अनुसार 11 मार्च को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि की पूजा में विधि का विशेष ध्यान रखना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि विधि पूर्वक व्रत और पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
भगवान शिव ब्रह्मांड के रचयिता हैं
भगवान शिव को ब्रह्मांड के रचयिता कहा गया है. भगवान शिव ने ही इस संपूर्ण सृष्टि की स्थापना की. इसीलिए भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है. शिव जी को संहार का देवता भी कहा गया है. शिव को आदि भी कहा जाता है.भगवान शिव को ज्योतिषशास्त्र का आधार भी माना गया है. भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं. भगवान शिव अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं.
शिव उपासना से ग्रहों की अशुभता दूर होती है
भगवान शिव को ज्योतिष शास्त्र का आधार भी माना गया है. इनकी पूजा करने से ग्रहों की अशुभता दूर होती है. जन्म कुंडली में बनने वाले कालसर्प दोष, अंगारक योग का दोष भी शिव पूजन से दूर होता है. इस समय वृषभ राशि में मंगल और राहु की युति से अंगारक योग बना हुआ है. इस अशुभ योग के प्रभावों को शिव पूजा से दूर किया जा सकता है.
शिव पूजा से मंगल ग्रह की शांति होती है
भगवान शिव की पूजा करने से मंगल ग्रह की शांति होती है. जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ हैं या फिर मंगल और अशुभ ग्रह के संबंध से कोई अशुभ योग बना हुआ तो भगवान शिव की पूजा करने लाभ प्राप्त होता है.
इस मंत्र का जाप करें
मंगल जब किसी की कुंडली में अशुभ होता है तो व्यक्ति को क्रोधी बना देता है. जिस कारण उसे गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अंगारक योग होने की स्थिति में कई प्रकार की दिक्कतें भी उठानी प?ती है. इस स्थिति से बचने के लिए भगवान शिव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
ऊँ अं अंगारकाय नम:

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