चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि बच्चों के मामले में माता पिता को बहुत ही सर्तक और सावधान रहना चाहिए. जो माता पिता इन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं उन्हें भविष्य में परेशानी उठानी पड़ती है. बच्चों के मन मस्तिष्क पर सबसे ज्यादा माता पिता का प्रभाव पड़ता है. माता पिता से बच्चे सबसे अधिक सीखते हैं. इसलिए माता पिता को अपने आचरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए. गीता में भगवान श्रीकृष्ण मनुष्य के गुणों के बारे में भी प्रकाश डालते हैं. श्रेष्ठ गुणों को अपनाने वाला मनुष्य कभी दुखी नहीं होता है. बच्चों के मामले में भी माता पिता को श्रेष्ठ गुणों को अपनाना चाहिए ताकि आगे चलकर उनकी संतान योग्य और संस्कारों से युक्त बने. माता पिता को बच्चों के सामने सदैव ऐसा व्यवहार करना चाहिए जिससे उनका संपूर्ण विकास हो. इन कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
भाषा शैली को बेहतर बनाएं
बच्चे माता पिता की चीजों से बहुत अधिक प्रभावित रहते हैं. इसीलिए वे इसकी नकल भी करते हैं. भाषा शैली से व्यक्ति के बारे में पता चलता है. बच्चों की भाषा शैली आकर्षक और सुंदर रहे इसके लिए माता पिता को भी ध्यान रखना चाहिए और घर और बाहर ऐसी भाषा शैली का प्रयोग करना चाहिए जिससे बच्चे के मन पर गलत प्रभाव न पड़े. बच्चों के माता पिता को अच्छी भाषा शैली का ध्यान रखना चाहिए.
क्रोध और कलह से बच्चों को दूर रखें
विद्वानों की मानें तो बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है. इस कोमल मन पर गलत चीजों का प्रभाव नहीं पडऩा चाहिए. बच्चों के सामने माता पिता को हिंसा, कलह और क्रोध आदि का प्रदर्शन नहीं करना. इससे बच्चों के मन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है, जो उनकी शिक्षा और करियर पर भी असर डालता है.
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