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अगर आप भी मोबाइल में करते है इंटरनेट का यूज तो यह खबर है आपके लिए खास, जानिये क्या है वजह…

नई दिल्ली। अगर आप भी मोबाइल में इंटरनेट का यूज करते हैं तो यह खबर आपके लिए खास है, क्योंकि यहां पर हम जो बताने जा रहे है वो काफी महत्वपूर्ण है। हम आपको बताने जा रहे है इंटरनेट के बारे में। जी हां…इंटरनेट का हमारे मोबाइल तक पहुंचने में काफी लम्बा प्रोसेस है लेकिन फिर भी हमारी जानकारी नैनो सेकेंड्स में एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंच जाती है। इंटरनेट को हमारे तक पहुंचाने में या हमारे डेटा को पल भर में एक जगह से हजारों किलोमीटर दूर पहुंचाने में सेटेलाइट की कोई भूमिका नहीं है। दरअसल ये सब केबल यानि के तारों के जाल से हो पाता है। अब आप सोचेंगे की पूरी दुनिया में तार बिछाना कैसे संभव है। ये तारे आसमान में नहीं बल्कि समंदर में बिछाई गई हैं। समंदर के रास्ते एक देश से दूसरे देश को जोड़ती है ये तारें। इन तारों को ऑप्टिकल फाइबर केबल कहा जाता है। आप अपने नेटवर्क ऑपरेटर को पैसे देते हैं और वो आप तक इन्ही ऑप्टिकल फाइबर केबल की मदद से इंटरनेट पहुंचाते है। इसमें सेटलाइट का कोई रोल नहीं है। वैसे इंटरनेट पूरी तरह से फ्री है आपसे जो चार्ज वसूला जाता है वो केवल इन वायर्स की मेंटिनेंस का चार्ज वसूला जाता है। आपके मोबाइल तक इंटरनेट आते-आते तीन अलग-अलग कंपनी से गुजरता है। पहली है टीआर-1 कंपनी, दूसरी है टीआर-2 कंपनी तीसरी है टीआर-3 कंपनी. टीआर-2 और टीआर-3 कंपनी स्टेट में और छोटे छोटे शहर में अपनी आप्टिकल फाइबर केबल बिछा कर रखी है। इन्हे सबमरिन केबल भी कहते है। टीआर-1 कंपनी ये वो कंपनी है जिसने पूरी दुनिया में समंदर के अन्दर अपना केबल बिछा रखा है। इसी तरह टीआर-1 कंपनी ने पूरे वर्ल्ड में सभी देशों के बीच में समंदर के अन्दर से ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा दी। अब सारे केबल कनेक्ट हो गएं कंट्री टू कंट्री। अब इंटरनेट को कंट्री से स्टेट में डिवाइड करना होता है और स्टेट से इसे सिटी में डिवाइड करना पड़ता है। इसके बाद सिटी से आप तक इसे लोकल एरिया के जरिए पहुंचाया जाता है। टीआर-1 कंपनी जो ऑप्टिकल फाइबर केबल को समंदर के अन्दर बिछाती है वो बाल की साइज से भी पतली होती है और एक ऑप्टिकल फाइबर केबल के अन्दर 100 जीबीपीएस की स्पीड होती है। भारत में जो ऑप्टिकल फाइबर केबल हैं वो मुंबई में हैं जो की इसका लैडिंग प्वाइंट है। भारत के ऑपरेटर्स रिलायंस जियो, एयरटेल, आइडिया और अन्य ने अपने टावर लगाकर रखे हैं और भारत में कही से भी आप कोई भी वेबसाइट विजिट करते हैं जिनके सर्वर भारत के बाहर हैं। लैडिंग प्वाइंट का मतलब उस जगह से जहां पर ये सर्वर किसी भी कंट्री से कनेक्ट होते हैं ये किसी भी देश में 1 से ज्यादा हो सकते हैं। (एजेंसी)

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