चंद्रभूषण वर्मा पिछले तीन साल से अधिक समय तक विश्व महामारी कोरोना ने लगभग 70 लाख से ज्यादा लोगों की जानें ली है। ये आंकड़ा डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी किया गया है। इन तीन सालों में कोरोना संकट से पूरा विश्व परेशान रहा है। वहीं आंकड़ों की बात करें तो इस महामारी से 76 करोड़ 40 लाख लोग संक्रमित हुए। सबसे ज्यादा भयावह स्थिति अमेरिका की रही, जहां दस करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण के शिकार हुए और साढ़े दस लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। दूसरे स्थान पर ब्राजील है, जहां सात लाख से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए, तो तीसरे स्थान पर भारत, जहां पांच लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत दर्ज हुई है। वहीं अभी हाल ही में पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा कर दी है कि कोविड-19 अब वैश्विक आपातकाल कहलाने योग्य नहीं है। कोरोना का विनाशकारी रूप तो पिछले साल ही बीती बात हो गया था और अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा एक तरह से प्रतीकात्मक ही है। वहीं लोगों का कहना है कि इस घोषणा से तत्काल कोई बड़ा असर नहीं पडऩे वाला। दुनिया के अलग-अलग देशों में इसे लेकर अलग-अलग प्रोटोकॉल है, जो आगामी दिनों में भी जारी रहने की उम्मीद है। वहीं कोरोना को अगर वैश्विक महामारी नहीं माना जाएगा, तो इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह सोचने की बात है। पहली चिंता कोरोना वैक्सीन को लेकर है। शायद आने वाले दिनों में वैक्सीन को हम कीमती होते देखेंगे? पेटेंट मामले में जो रियायत मिलती रही है, वह समाप्त हो सकती है। एक अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग पांच अरब लोगों को टीके की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी अपनी भूमिका की समीक्षा करनी चाहिए। गरीब व विकासशील देशों के स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। विशेष रूप से भारत को अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे का विकास बहुत तेजी से करना चाहिए। कोरोना महामारी पूरी तरह विदा नहीं हुई है, पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा कर दी है कि कोविड-19 अब वैश्विक आपातकाल कहलाने योग्य नहीं है। दुनिया भर में कम से कम 70 लाख लोगों की जान लेने वाली सदी की इस सबसे भयानक महामारी का आपातकालीन चरण भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, महामारी समाप्त नहीं हुई है। असली खुशी उसी दिन होगी, जिस दिन महामारी के अंत की घोषणा होगी। दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व में मामले अभी बढ़ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि अभी भी हर सप्ताह हजारों लोग इस वायरस से मर रहे हैं। याद रहे, इस स्वास्थ्य एजेंसी ने पहली बार 30 जनवरी, 2020 को कोरोना वायरस को एक वैश्विक संकट घोषित किया था। तब संक्रमण चीन व कुछ ही अन्य देशों में हुआ था। धीरे-धीरे यह संक्रमण पूरी दुनिया में फैल गया और दुनिया ने एक बड़ी व्यापक त्रासदी को झेला। कुल मिलाकर देखा जाए तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की घोषणा से भले ही हम राहत की सांस ले सकते हैं, पर संकट अभी तक पूरी तरह टला नहीं है। इसलिए हमें अभी कोरोना से सतर्क होने की जरूरत है। देश में कोरोना संक्रमण भले ही कम हो गया, लेकिन लोगों को उससे सतर्क रहने की जरूरत अब भी है. ऐसा इसलिए कि कोरोना मरीजों के आने का सिलसिला पहले की तरह जारी है. राहत की बात केवल यह है कि कोरोना मरीजों की संख्या और संक्रमण दर में कमी आई है। और असली खुशी तो उस दिन होगी, जिस दिन ये घोषणा कर दी जाए कि कोरोना संकट पूरी तरह खत्म हो चला है। उम्मीद है ऐसी कोई खबर जल्द ही आए।