पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार गरीबों की मदद का सिर्फ ढिंढोरा पीटती है। लेकिन, वास्तविकता यह है कि सरकार दोगली नीति अपनाकर न केवल गरीबों का मजाक उड़ाती है, बल्कि उन्हें अपमानित भी करती है। अंत्योदय योजना के तहत आने वाले गरीबों की बिजली बिल माफी योजना में भी सरकार का यही दोगला चेहरा उजागर हुआ है।
यहां जारी एक बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि एक लाख रुपए से कम आय वाले अंत्योदय परिवारों के लिए सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा योजना शुरू की है। इसमें 12 महीनों की कुल औसत मासिक खपत, बिल भुगतान, बिल की मूल राशि, कंपाउंड राशि, 50 प्रतिशत ब्याज या 3600 रुपए मूल राशि जैसी तकनीकी और पेचीदा शब्दावली जोड़कर गरीबों को और उलझा दिया गया है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार सचमुच इन गरीब परिवारों को बिजली बिलों में राहत देना चाहती है तो बिल माफी की एकमुश्त घोषणा क्यों नहीं कर रही? उन्होंने कहाकि एक लाख से कम सालाना आय यानि लगभग 8 हजार रुपए महीना कमाने वाले परिवार के चार-पांच सदस्यों का भरण पोषण कैसे होता होगा, आसानी से समझा जा सकता है। उन परिवारों को मदद मिलनी ही चाहिए लेकिन सरकार की नीयत तो ऐसी नहीं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि आसपास के राज्यों में 100, 200, 300 यूनिट तक बिजली सभी वर्गों के उपभोक्ताओं को मुफ्त दी जा रही है। लेकिन, हरियाणा में सबसे गरीब अंत्योदय परिवारों को भी सरकार मुफ्त बिजली नहीं दे रही। कुमारी सैलजा ने कहाकि बड़े-बड़े दावे करने वाली हरियाणा सरकार की कथनी और करनी का अंतर बार-बार सार्वजनिक रूप से सामने आ रहा है।
हरियाणा में अंत्योदय परिवारों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, यदि सभी परिवारों को मुफ्त बिजली दे दी जाए तो सरकार के खजाने पर अधिक बोझ नहीं पड़ने वाला। उन्होंने कहा कि सरकार की अंत्योदय परिवार ऊर्जा सुरक्षा योजना-2023 में इतने किंतु-परंतु जोड़ दिए गए हैं कि ‘मास्टर चाबी’ असल में बिजली खपत का पैमाना चेक करने वाले कर्मचारियों के हाथ में आ जाएगी। यानी अंत्योदय परिवार उन कर्मचारियों के रहमोकरम पर ही आश्रित होकर रह जाएगा। एक झटके में ही गरीब परिवार को इस योजना के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा। कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार वास्तव में गरीबों की मदद करना चाहती है तो बिना कोई किंतु-परंतु लगाए अंत्योदय परिवारों के पुराने बिल माफ करने व भविष्य में निशुल्क बिजली देने की स्पष्ट घोषणा करे।