माँ बनकर जन्म दिया जिसने, लालन-पालन भी किया जिसने, शीश झुकाकर प्रणाम करो उस नारी को, तुम पर अहसान किया जिस नारी ने…। 1910 में डेनमार्क की ग्लार जेड महिला ने मजदूर महिलाओं की कांफ्रेंस कराई जिसमें 17 देश के लगभग 100 महिलाओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। इसके फलस्वरूप 1911 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। कभी माँ बनकर, कभी बहन बनकर कभी पत्नी बनकर एक आदमी को सही राह दिखाती है, नारी को कभी कम एवं अबला नहीं समझना, वो हर मोड़ पर आपका दुर्गा चंडी काली का रुप लेकर साथ निभाती है।
1936 में जन्मी मेरी माता कांती बाई पिता स्व. सोमनाथ देवांगन अर्जुंदा की नारी ने बेटी का फर्ज अदा करते हुए रायपुर में स्व. पूनमचंद की पत्नी का बखूबी से अपना फर्ज निभाया और मुझ जैसी दो बहनों प्रीति देवांगन एवं डॉली देवांगन को जन्म देकर अच्छी मां का वर्चस्व प्राप्त किया, इतनी समस्याओं के जूझते उसने हार नही माना, सभी क्षेत्रों में मुकाबला किया। एक विवाहित महिला विधवा होने के बाद भी समाज से जूझना नही छोड़ा। आज भी निर्णय लेने में मेरी माता सक्षम एवं अहम भूमिका निभाती है। उस माता नारी को मेरा कोटिश नमन जो हमारे साथ आज भी प्रेरणा स्त्रोत है।
चंद्रकांत/प्रीति देवांगन, डॉली देवांगन
महिला थाना रायपुर (छत्तीसगढ़)