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ना सीमेंट, ना लोहा! अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की तकनीक देखकर रह जाएंगे हैरान

अयोध्या में ऐसा भव्य और दिव्य मंदिर (Ram Mandir) बन रहा है कि एक हजार साल तक मंदिर को कुछ नहीं होगा। मंदिर में अभी खंभे लगाने का काम चल रहा है। ये काम कैसे हो रहा है। खंभे बनाने के लिए बड़ी बड़ी शिलाओं का इस्तेमाल हो रहा है। ये शिलाएं राजस्थान (Rajasthan) से लाए पत्थरों से बनाई गई हैं। इन शिलाओं पर सुंदर नक्काशी की गई है। ये शिलाएं एक के ऊपर एक रखी जा रही हैं। इनसे ही पिलर तैयार हो रहे हैं। एक पिलर बनाने के लिए पांच से छह शिलाएं लग रही हैं।

ये है खासियत – सबसे बड़ी बात ये है कि इन शिलाओं को जोड़ने के लिए ना तो सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है और ना ही किसी लोहे की सरिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन शिलाओं को फिक्स करने के लिए एक विशेष तरीका अपनाया गया है। आपको बताता हूं कि ये कैसे हो रहा है। इन पत्थरों में कुछ छेद किए गए हैं। आप देख रहे होंगे छेद पत्थर के ऊपरी हिस्से में दिख रहे हैं….अब दूसरी शिला में पाइपनुमा उभार है। इन्हें उठाकर दूसरे पत्थर पर रखा जाएगा जिससे ये पत्थर एक-दूसरे से फिक्स होंगे । इसमें एक शिला को Lock कह सकते हैं। दूसरी शिला को Key कह सकते हैं।

आइकोनोग्राफी – जिन शिलाओं से पिलर तैयार हो रहे हैं, उन शिलाओं पर अभी आइकोनोग्राफी का काम बाकी है। आप सोच रहे होंगे कि ये आइकोनोग्राफी क्या है।पत्थरों पर या दीवारों को तराशकर मूर्ति उकेरने का काम आइकोनोग्राफी कहलाता है । एक शिला के एक साइड में तीन-तीन खाली जगह है।इसका मतलब है यहां तीन मूर्तियां तो तराशी ही जाएंगी और चारों और कुल बारह मूर्ति बनेगी। जब पिलर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा…उसके बाद दीवारों-खंभों पर मूर्तियां तराशने का काम होगा।

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