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दुर्घटनाग्रस्त पशुओं के इलाज के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी होगा, सूचना मिलते ही पहुंचेंगे पशु चिकित्सक

समीक्षा बैठक में कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने दिये निर्देश

दुर्ग. दुघर्टनाग्रस्त मवेशियों के इलाज के लिए पशुधन विकास विभाग हेल्पलाइन नंबर जारी करेगा। इसके माध्यम से मवेशियों के त्वरित इलाज के लिए मदद ली जा सकेगी। फोन से सूचना मिलते ही पशु चिकित्सक मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू का प्रयास करेंगे। कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने आज समीक्षा बैठक में यह बात कही। उन्होंने कृषि और संबंधित विभाग की योजनाओं पर हुई प्रगति के संबंध में विस्तार से समीक्षा की। कलेक्टर श्री मीणा ने बैठक में गौठानों में उच्च नस्ल के गायों के पाले जाने की प्रगति की समीक्षा भी की। अधिकारियों ने बताया कि जिन गौठानों में अब तक उच्च नस्ल की गाय वितरित की गई हैं वहां दूध व्यवसाय से समूह की महिलाएं अच्छी खासी आय अर्जित कर पा रही हैं। तिलहन के क्षेत्राच्छादन में 36 प्रतिशत की वृद्धि- कलेक्टर ने रबी वर्ष में क्षेत्राच्छादन की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि तिलहन फसल के क्षेत्राच्छादन में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दलहन फसल के क्षेत्राच्छादन में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कलेक्टर ने कहा कि इन फसलों के क्षेत्राच्छादन का अनुपात और बढ़ाना है। अधिकारियों ने बताया कि खरीफ मौसम की अतिरिक्त नमी के सदुपयोग व आय में वृद्धि के उद्देश्य से 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन-तिसहन का क्षेत्राच्छादन किया गया। उन्होंने फसल बीमा योजना के संबंध में भी जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 146 कृषकों का दावा भुगतान नहीं होने की शिकायत मिली थी। उनके दस्तावेजों को कंपनी को प्रेषित कर सभी किसानों का शतप्रतिशत भुगतान कर दिया गया। खरीफ वर्ष 2022 में बीमित राशि 512 करोड़ रही। रबी वर्ष 2023 में बीमित राशि से 143 करोड़ रुपए रही है। कलेक्टर ने अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के अंतर्गत हो रही गतिविधि की जानकारी भी ली। अधिकारियों ने बताया कि पूरे जिले में 470 हेक्टेयर रकबे में रागी फसल हो रही है। अमरूद, पपीता और केले की 20 एकड़ क्षेत्र में होगी खेती- कलेक्टर ने हार्टिकल्चर विभाग को अमरूद, पपीते और केले की खेती बड़े पैच में करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इसके लिए 15 से 20 एकड़ क्षेत्र चिन्हांकित करें और समूहों के माध्यम से इसकी खेती करें। बड़े पैमाने पर उत्पादन होने से बाजार तक पहुंच भी आसान होती है और संसाधन एक ही जगह पर आसानी से लगाये जा सकते हैं।

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