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प्रभात त्रिपाठी एकाग्र कार्यक्रम : देशभर के नामचीन साहित्कारों का लगा रायगढ़ में जमावड़ा

रायगढ़। साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में आयोजित प्रभात त्रिपाठी एकाग्र की शुरुआत शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी को श्रद्धांजलि देकर हुई। रायगढ़ के साहित्यकार प्रभात त्रिपाठी जिनकी गिनती देश के शीर्ष साहित्यकारों में होती है पर केंद्रित कार्यक्रम में नामचीन साहित्कारों ने अपने विचार रखे।

मुक्तिबोध, श्रीकांत वर्मा के प्रदेश में प्रभात त्रिपाठी जैसा साहित्कार होना गर्व की बात है। रायगढ़ शहर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी की पुण्य भूमि है। रंगकर्मी अजय आठले का कर्मस्थल है।

प्रभात त्रिपाठी के मित्र और देश के नामचीन साहित्यकार कुलजीत सिंह ने कहा देश में हिंदी के 5-7 शीर्ष चुनिंदा साहित्कार हैं उनमें से प्रभात एक हैं। जिस तरह से साहित्य अकादमी की प्रदेश इकाई ने प्रभात त्रिपाठी पर कार्यक्रम आयोजित किया है वैसे केंद्रीय साहित्य अकादमी को भी ऐसे आयोजन करने चाहिए। प्रभात शालीन है चुप रहते हैं पूरा जीवन उन्होंने लिखा-पढ़ा-सुना। उन्होंने मामूली साहित्कारों के लिए भी भूमिका लिखी पर अपने लिए कभी किसी से भूमिका नहीं लिखवाई।

साहित्कार ध्रुव शुक्ल ने कहा कि प्रभात त्रिपाठी शब्दों को ईश्वर मानते हैं। सृजनात्मक आलोचना उनकी पहचान रही है। जिस दौरे में देश में फेवरेटिज्म, रोमांटिज्म जैसे आयातित शब्दावली के इज्म का दौर था उस दौर में इन्होंने अपनी लेखनी से अलग पहचान बनाई।

साहित्यकार नंद किशोर आचार्य ने कहा कि देर आए दुरूस्त आए। काफी पहले ही प्रभात जैसे साहित्कार के नाम पर ऐसे आयोजन हो जाने थे। हिंदी साहित्य जगत में हर छोटे-बड़े लेखक से प्रभात के संबंध है।

उद्घाटन सत्र के अध्यक्षीय उद्बोधन में मुमताज भारती पापा ने कहा प्रभात लेखक के तौर पर सजग आलोचना से देश को जागरूक करते रहे हैं। उनके समाज के प्रति गहरे सरोकार रहे हैं। उनका लेख सांप्रदायिकता : ब्राह्मणवादी सवर्ण वर्चस्व, राजस्थान की एक पत्रिका में छपा था जिसने काफी प्रभाव छोड़ा था। उद्घाटन सत्र का संचालन रंगकर्मी रविंद्र चौबे ने किया।

इसके बाद दोपहर 2 बजे ‘आस्वाद के विविध प्रारूप’ : प्रभात त्रिपाठी की आलोचना’ विषय पर केंद्रित सत्र आयोजित हुआ। जिसमें युवा आलोचक अरुणेश शुक्ल, भागवत प्रसाद और ईश्वर सिंह दोस्त अपने वक्तव्य रखा। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि व विचारक नंद किशोर आचार्य ने किया। शाम 4 बजे प्रभात त्रिपाठी के साथ एक संवाद सत्र हुआ, जिसका नाम उनके ही एक संग्रह के नाम पर ‘चुप्पी की गुहा में शंख की तरह’ रखा गया है। संवाद सत्र के दौरान प्रभात त्रिपाठी कई दफे भावुक हो रहे थे लेकिन अपने साहित्यकर्म के बारे में संक्षिप्त मगर सरलता से समझाया। इसके बाद रायगढ़ के वरिष्ठ रंगकर्मी रवींद्र चौबे प्रभात त्रिपाठी की कहानी तलघर का पाठ किया।

उद्घाटन सत्र का आधार वक्तव्य देते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर साहित्यकार बसंत त्रिपाठी ने कहा प्रभात त्रिपाठी के 60 साल के लेखन को 2 दिन में समेटना असंभव है। वह साहित्य की हर विधा में माहिर हैं फिर चाहे कविता हो या आलोचना। आलोचना करते समय वह सिद्दांत और आस्वादन के बीच तटस्थता खोज लेते हैं तो कवि बनकर पाठक की दुनिया में झांकते हैं। कल्पना और स्वप्न का रचनात्मक इस्तेमाल प्रभात जी से बेहतर शायद किसी ने किया हो। ओडियाभाषी रचना वंश का अनुवाद आसान नहीं था पर प्रभात जी ने इसका रचनात्मक अनुवाद किया और अनुवाद का साहित्य अकादमी पुरस्कार उन्हें मिला।

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त शुरुआत में स्वागत वक्तव्य दिया।

अपने अनुभवों पर लिखा : प्रभात त्रिपाठी
साहित्कार प्रभात त्रिपाठी ने चर्चा के दौरान बताया कि मैनें जो कुछ लिखा है या किया है उसमें मेरे अंदर के अंदर जो उथल-पुथल हो रही है उसी बैचेनी से अपने आप को मुक्त करने के लिए। वह व्यक्तिगत रूप से बैचेनी के रूप में देखा जा सकता है और समाज में जो विसंगतियां है वह भी। लेखन में सबसे ज्यादा फोकस अपने अनुभव पर ही रहा है। वास्तव में मैं सबसे ज्यादा प्रेम पर लिखना चाहता हूं। स्त्री पुरूष के प्रेम ही नहीं बल्कि पूरा परिवेश है। मनुष्य और उससे अलग सृष्टि के प्रति अनुराग का भाव महत्पूर्ण है। शारीरिक जरूरत नहीं मूल्य बनाकर चलना होगा।

पोस्टर प्रदर्शनी ने खींचा ध्यान
मंदिर से दूर से भगवान आसमान के किसी कोने में दुबके देख रहे थे अपनी पूजा का साज-ओ-सामान और सामान से दूर थी भक्ति… लिखे जैसे कई पोस्टर ने इस कार्यक्रम में सब का ध्यान खींचा। दरअसल प्रभात त्रिपाठी की कविताओं पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी लगी हुई है। दशकों पहले लिखा गया आज भी उतना ही यथार्थ है जितना पहले थे। कविताओं को रंग और पोस्टर में उतारने का काम किया है मनोज श्रीवास्तव ने किया। शाम 6 बजे से सिद्धार्थ त्रिपाठी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘एक कुकुर आउ ओकर आदमी’ का प्रदर्शन भी किया गया।

दूसरे दिन विचार विमर्श के साथ काव्य पाठ
ईश्वर सिंह दोस्त ने बताया कि 26 फरवरी को सुबह 10.30 बजे ‘कुछ सच कुछ सपने: प्रभात त्रिपाठी की कविता व कथा साहित्य विषय’ पर विमर्श सत्र होगा। इसमें वरिष्ठ साहित्यकार प्रभुनारायण वर्मा, लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता, प्रवीण प्रवाह और युवा साहित्यकार अच्युतानंद मिश्र, महेश वर्मा व वसु गंधर्व वक्तव्य देंगे। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ध्रुव शुक्ल करेंगे। इसी दिन दोपहर 2 बजे ‘रचना के साथ : प्रभात त्रिपाठी की रचनात्मकता के विविध आयाम’ पर केंद्रित विमर्श सत्र होगा। इस में वरिष्ठ साहित्यकार चितरंजन कर और युवा रचनाकार विनोद तिवारी, राकेश मिश्र व भागवत प्रसाद अपने वक्तव्य देंगे। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार कुलजीत सिंह करेंगे। शाम 4 बजे ‘साकार समय में: संस्मरणों की रोशनी में प्रभात त्रिपाठी’ सत्र होगा। इस सत्र में रायगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार व संस्कृति कर्मी मुमताज भारती, सुचित्रा त्रिपाठी, राकेश बड़गैयां और हरकिशोर दास प्रभात त्रिपाठी से जुड़े अपने संस्मरण सुनाएंगे। इस सत्र की अध्यक्षता रायगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी करेंगे। अंतिम दिन का आखिरी सत्र कविता पाठ का होगा। शाम 5 बजे हिंदी के वरिष्ठ व यशस्वी कवि प्रभात त्रिपाठी, नंद किशोर आचार्य और ध्रुव शुक्ल अपनी कविताओं का पाठ करेंगे।

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