Home » जानलेवा ओवरलोड वाहनों पर हो ऐसे ही कठोर कार्रवाई
Breaking देश राज्यों से

जानलेवा ओवरलोड वाहनों पर हो ऐसे ही कठोर कार्रवाई

file foto

  • चन्द्रभूषण वर्मा
    बीते दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नेशनल हाईवे पर एक माल ढोने वाली कमर्शियल गाड़ी का चालान कटा है। 20 हजार रुपयों का भारी चालान कोर्ट के आदेश से रायपुर ट्रैफिक पुलिस ने काटा है। ट्रैफिक पुलिस की इस कार्रवाई के पीछे की वजह गाड़ी के बाहर झूलता हुआ सरिया था। इस मामले को लेकर पुलिस ने बताया कि एक कंस्ट्रक्शन कंपनी की कमर्शियल गाड़ी में खतरनाक तरीके से सरिया लोड किया गया था। ये सरिया आगे की तरफ करीब 6 फीट और पीछे की तरफ 3 फीट निकला हुआ था। जब गाड़ी सड़क पर दौड़ रही थी, तो ये सरिया लगातार ऊपर-नीचे झूल रहा था, जिससे सड़क पर चलने वाले दूसरे राहगीर हादसे का शिकार हो सकते थे।
    सड़कों पर अनियंत्रित और बेतरतीब दौड़ती जानलेवा ओवरलोड गाडिय़ों पर इस तरह की कार्रवाई बिल्कुल जायज है। ट्रैफिक पुलिस की इस कार्रवाई को देखकर लोगों का कहना है कि यदि इसी तरह ओवरलोड और बेतरतीब चलती गाडिय़ों पर पुलिस तत्काल एक्शन लें, तो काफी हद तक दुर्घटना को टाला जा सकता है। आएदिन खबरों में सड़क हादसे की बड़ी-बड़ी खबरें देखकर मन दहल उठता है कि कब कौन इस हादसे का शिकार हो जाए। लेकिन पुलिस की पहल से लोगों में एक विश्वास जागा है कि पुलिस भविष्य में भी इस तरह की कार्रवाई करती रहेगी।
    इसी तरह कुछ और हादसों पर चर्चा करें तो हमारे आसपास रोज कोई कोई सड़क हादसे की खबरें और तस्वीरें सामने आती है। जिसे देखकर ही घबराहट होती है। इसके पीछे यदि कारणों की चर्चा की जाए तो बिना हेलमेट या सीट बेल्ट के वाहन चलाना, जल्दबाजी और ओवरटेक का चक्कर, सिंगनल का पालन ना करना, जैसी कई कारण जिम्मेदार हैं। वैसे देखा जाए तो आँकड़ों के मुताबिक, देश भर में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 76 प्रतिशत दुर्घटनाएँ ओवर स्पीडिंग और गलत साइड पर गाड़ी चलाने जैसे यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं। स्पष्ट है कि जब तक इन घटनाओं को नहीं रोका जाएगा तब तक देश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना संभव नहीं होगा।
    कुल सड़क दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहनों और पैदल चलने वालों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, किंतु इसके बावजूद सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन के दौरान इस विषय पर ध्यान नहीं दिया जाता। भारत में सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन केवल सड़कों को विस्तृत करने तक ही सीमित है, जिसके कारण कई बार सड़कों और राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट बन जाते हैं। ब्लैक स्पॉट वे स्थान होते हैं जहाँ सड़क दुर्घटना की संभावना सबसे अधिक रहती है। इसके अलावा निगरानी के बुनियादी ढाँचे की अनुपस्थिति के कारण ‘हिट एंड रनÓ से संबंधित अधिकांश मामलों में जाँच ही संभव नहीं हो पाती है। आँकड़े बताते हैं कि देश में दोपहिया वाहनों पर दुर्घटना के शिकार होने वाले 73 प्रतिशत लोग हेलमेट नहीं पहनते हैं, जबकि चार पहिया वाहनों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा सीट-बेल्ट का प्रयोग नहीं करना है।
    हादसा या दुर्घटना किसी को बता कर नहीं आती, लेकिन सावधानी बरतना अत्यंत जरूरी है। सड़क हादसों पर कमी लाने हर नागरिक को यातायात के नियमों का पालन करना होगा। साथ ही आवश्यक है कि लोग अपने व्यवहार में परिवर्तन का प्रयास करें। हेलमेट और सीट-बेल्ट के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाए। क्योंकि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएँ इन्हीं कारणों की वजह से होती हैं। लोगों को शराब पीकर गाड़ी न चलाने के प्रति जागरूक किया जाना भी अत्यावश्यक है। दुर्घटना के पश्चात् तत्काल प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराना और पीडि़त को जल्द-से-जल्द अस्पताल पहुँचाने की व्यवस्था करना कई लोगों की जान बचा सकता है। दुर्घटना के पश्चात् आस-पास खड़े लोग घायल की जान बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। आवश्यक है कि आम लोगों को इस कार्य के प्रति जागरूक किया जाए।

About the author

NEWSDESK

Advertisement

Advertisement