वेलकम डिस्टलरी से होने वाले प्रदूषण का मुद्दा आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रमुखता से उठाया गया। इस पर आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि डिस्टलरी के खिलाफ शिकायतों के आधार पर बीते साल में तीन बार जुर्माना लगाया गया है। पहली बार तीन लाख 90 हजार रुपये और दो बार नौ-नौ लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है।
अटल श्रीवास्तव की आपत्ति और कमेटी से जांच की मांग
विधायक अटल श्रीवास्तव ने केवल जुर्माना लगाने को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़ी कार्रवाई जरूरी है। उन्होंने कहा, “डिस्टलरी का पूरा क्षेत्र पेसा कानून के अंतर्गत आता है। डिस्टलरी से निकलने वाले अपशिष्ट खेतों में फेंके जा रहे हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है और क्षेत्र में बदबू के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।” उन्होंने इस मामले की जांच विधायकों की कमेटी से कराने की मांग की।
मंत्री ने दी विस्तार से जानकारी
मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि भारत सरकार ने वेलकम डिस्टलरी को 10 किलोलीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 60 किलोलीटर प्रतिदिन क्षमता विस्तार की पर्यावरणीय स्वीकृति 2004 में दी थी। इस स्वीकृति के तहत प्रदूषण नियंत्रण के कई मानक तय किए गए थे।
उन्होंने कहा, “डिस्टलरी को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियमों के तहत संचालन की अनुमति 2012 में दी गई थी। इसमें दूषित जल का बायो-मीथेनेशन, सक्रिय स्लज प्रोसेस और बायो-कंपोस्टिंग के जरिए निपटान सुनिश्चित करने, शून्य निस्सारण बनाए रखने, और चिमनी से उत्सर्जन को निर्धारित मानकों के अनुरूप रखने जैसी शर्तें शामिल हैं।”
विधायक उमेश पटेल की मांग
विधायक उमेश पटेल ने निरीक्षण के दौरान संबंधित क्षेत्र के विधायक अटल श्रीवास्तव को भी शामिल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी से समस्याओं की सही तस्वीर सामने आ सकेगी।
प्रदूषण की रोकथाम पर मंत्री का आश्वासन
मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि समय-समय पर डिस्टलरी का निरीक्षण किया जाता है। नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। हालांकि, इस जवाब से संतुष्ट न होते हुए विपक्षी विधायकों ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की।
वेलकम डिस्टलरी से होने वाले प्रदूषण का मुद्दा विधानसभा में चर्चा का केंद्र बना रहा। जहां सरकार ने जुर्माना और निरीक्षण की जानकारी दी, वहीं विपक्ष ने कड़े कदम उठाने और कमेटी से जांच कराने की मांग की। अब देखना होगा कि सरकार इस दिशा में क्या ठोस कार्रवाई करती है।