धरमजयगढ़ वन मंडल के चार रेंज में अतिकाय की मौजूदगी, छाल रेंज के ग्राम देउरमार में मुख्य मार्ग पर आ गए हाथी
धरमजयगढ़ । सावधान अगर आप धरमजयगढ़ वन मंडल में हैं तो आपको हाथियों से सतर्क रहने की जरूरत है। यहां आज की स्थिति में लगभग 66 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। चार रेंज में हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए भले ही वन विभाग के अधिकारी हाथी से बचाव संबंधित बात कर रहे हैं, पर यहाँ ग्रामीणों के बीच दहशत भरा माहौल निर्मित है। शुक्रवार की शाम को छाल रेंज के ग्राम देउरमार में हाथियों का दल मुख्य मार्ग पर आ गया था। इससे इस मार्ग का आवागमन भी बाधित रहा। हालांकि उनके जंगल की ओर जाने के बाद आवागमन बहाल हो सका। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल, धरमजयगढ़, बोरो व कापू रेंज में 66 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। यहां छाल रेंज में सबसे अधिक 30 से 35 हाथियों का दल बताया जा रहा है, तो वहीं धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में 15 से 20 हाथियों का होना बताया जा रहा है। इसके अलावा अभी बोरो व कापू रेंज में हाथियों की मौजूदगी है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आज की स्थिति में 66 हाथियों का दल चार रेंज में है और सभी रेंजों में हाथियों से बचाव के लिए ग्रामीणों को समझाइश दी जा रही है और अकेले जंगल जाने से मना किया जा रहा है। हालांकि इसके बाद ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल निर्मित है। यही नहीं शुक्रवार की शाम छाल रेंज के ग्राम देऊरमार के मुख्य मार्ग पर हाथियों का एक दल आने की बात कही जा रही है। इसके बाद वह मुख्य मार्ग बाधित रहा। कुछ देर बाद जब हाथियों का दल जंगल की ओर चला गया। तब कहीं जाकर वहां का आवागमन फिर से चालू हुआ। इस संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए जब छाल रेंजर के मोबाइल पर कॉल किया गया तो उन्होंने मोबाइल रिसीव नही किया ,इसलिए पूर्ण रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
आपको बता दें लगातार धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए ग्रामीण दहशत में हैं कि कब किसका फसल नुकसान हो जाए या कोई जनहानि ना हो जाए। हालांकि विभागीय अधिकारियों को कहना है कि हाथियों की मौजूदगी मिलने के बाद तत्काल हाथी प्रभावित क्षेत्र के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में मुनादी कर जंगल की ओर जाने से ग्रामीणों को मना किया जाता है। इसके अलावा लगातार हाथियों की गतिविधियों पर निगरानी विभाग द्वारा की जा रही है।
रात में होता है ज्यादा खतरा
बताया जा रहा है कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में सबसे अधिक खतरा रात को होता है। कई बार ग्रामीण जंगल के रास्ते से कहीं जाने के लिए निकलते हैं पर उनका सामना हाथियों से हो जाता है। इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है। यही नहीं रात होते ही हाथियों का दल जंगल से निकलकर आसपास के खेतों में पहुंच जाते है। इसके बाद फसलों को काफी मात्रा में नुकसान करते है। भले ही उसका मुआवजा विभाग के द्वारा दिया जाता है। जिससे किसानों की फसल की भरपाई नहीं होती इसलिए गांव के गांव इकट्ठा होकर हाथियों के दल को भगाने मजबूर हो जाते हैं।
ग्रामीणों को लगातार किया जा रहा सतर्क व जागरूक
इस संबंध में जब धरमजयगढ़ एसडीओ बीएस सरोटे से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि 66 हाथियों का दल शनिवार तक की स्थिति में धरमजयगढ़ वन मंडल में है। हाथियों का दल कई बार रोड क्रॉस करने के दौरान सड़क पर भी कुछ देर रुक जाते हैं। जिस रेंज में हाथी मौजूद है वहां के ग्रामीणों को सतर्क किया जाता है साथ ही ग्रामीणों को हाथी से बचाव के लिए कई प्रकार के टिप्स भी दिए जा रहे हैं ताकि क्षेत्र में जनहानि रोका जा सके। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि इतना बड़ा क्षेत्र हाथी प्रभावित होने के बावजूद इस क्षेत्र को लेमरु हाथी परियोजना से अलग रखा गया है।