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कार में अकेले बैठे हुए भी क्या लगाना होगा मास्क…? जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने 18 नवंबर को हाईकोर्ट में दिए अपने हलफनामे में कहा था कि सड़क पर कार को प्राइवेट व्हीकल बताकर मास्क लगाने से नहीं बचा जा सकता. दिल्ली सरकार ने यह हलफनामा उस याचिका पर दिया था जिसमें बंद कार में अकेले ड्राइविंग करते हुए मास्क न लगाने पर 500 रुपये के जुर्माने को कोर्ट में चुनौती दी गई है. क्या वाकई में सड़क पर खड़ी और चलती हुई आपकी कार एक प्राइवेट स्पेस की कैटेगरी में आती है. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा है?
याचिकाकर्ता ने मांगा 10 लाख रुपये का मुआवजा- बता दें कि दिल्ली सरकार ने यह हलफनामा दिल्ली हाई कोर्ट के वकील सौरव शर्मा द्वारा लगाई गई याचिका पर दिया है जिसमें कहा गया है कि 9 सितंबर को चलती गाड़ी को रोककर उनका चालान कर दिया गया जबकि वह अपनी गाड़ी में अकेले ही घर से ऑफिस जा रहे थे. इस पर अब याचिकाकर्ता ने मेंटल हैरेसमेंट के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा मांगा है. दिल्ली में मास्क पहनने को लेकर गाइडलाइन-राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए डिजास्टर मैनेजमेंट के अध्यक्ष ने 8 अप्रैल को अपने एक आदेश में कहा था कि जनहित के लिए यह जरूरी है कि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा. साथ ही आदेश जारी किया गया था कि किसी भी व्यक्ति के लिए पर्सनल और ऑफिस व्हीकल में भी मास्क पहनना आवश्यक होगा. याचिकाकर्ता ने किस तर्क पर मांगा 10 लाख रुपये का मुआवजा-याचिकाकर्ता और वकील सौरव शर्मा का कहना था कि उनका जो चालान काटा गया उसमें मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं बनता है. उन्होंने कहा कि वसूले गए चालान की रकम को किस डिपार्टमेंट को जमा की जाएगी, साफ नहीं है. साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से ऐसी कोई भी गाइडलाइन जारी नहीं की गई है जिसमें अकेले कार में सफर करते हुए मास्क लगाना जरूरी बताया गया है. इस पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सतविंदर सिंह एंड ओआरएस बनाम बिहार राज्य के मामले का उल्लेख किया.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने-सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी के इस मामले में कार में शराब पीते लोगों पर यह टिप्पणी की थी कि बिहार उत्पाद शुल्क (संशोधन) अधिनियम, 2016 की धारा 2 (17्र) के तहत सड़क पर मौजूद किसी भी व्यक्ति की कार प्राइवेट स्पेस की कैटेगरी में नहीं रखी जाती सकती है. जस्टिस अशोक भूषण और के एम जोसेफ की खंडपीठ ने पिछले साल 1 जुलाई को फैसला सुनाया था कि सार्वजनिक स्थानों से गुजरने वाले व्हीकल को पब्लिक प्लेस की श्रेणी में रखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि उनकी कार पब्लिक प्लेस के दायरे से बाहर थी. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में वकील सौरव शर्मा के मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी.
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