रायपुर। प्रदेश के धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय के डूबान क्षेत्र के अकलाडोंगरी संकुल केन्द्र में ग्राम कोड़ेगांव (आर) कहने को तो बहुत छोटा सा गांव है, लेकिन पढ़ाई को लेकर यहां के पालक बेहद जागरूक और सजग हैं। डूबान क्षेत्र के शिक्षकों के साथ-साथ पालक भी अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहें हैं। गांव की सरपंच श्रीमती ललिता विश्वकर्मा भी बच्चों को शिक्षित करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। यहां कुछ ऐसे पालक भी हैं, जो अपना हर्जाना करके भी बच्चों को पढ़ाने के लिए समय निकाल रहे हैं। धान कटाई, मिंजाई का समय आया तो वालिंटियर्स पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में गांव के सभी पालकों ने मीटिंग लेकर प्रत्येक दिन बारी-बारी से क्लास लेने का निर्णय लिया। इस तरह बच्चों को ऑफलाइन पढ़ाने का सिलसिला निर्बाध रूप से जारी रहा। शिक्षित पालकों की पढ़ाने की पारी तय की गई। ऐसा ही एक वाकया के बारे में स्कूल की शिक्षक श्रीमती अमृता साहू ने बताया कि एक पालक श्री किशुन सेवता की पढ़ाने की बारी थी, पर किसी कारणवश वे नहीं आ पाए। फिर उनकी जगह सरोज नेताम नामक महिला पढ़ाने आई और बच्चों से कहा – ‘तुमन ल पढ़ाय बर में हर अपन रोजी-मजूरी ल छोड़ के आए हों…! और वह उस दिन पूरे समय तक विद्यार्थियों की ऑफलाइन क्लास लीं। इससे यह साबित होता है कि रोजी-मजदूरी करने वाले पालक भी अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति संजीदा व समर्पित हैं। कोविड-19 के संक्रमण के चलते वर्तमान शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान न होने पाए, इसके लिये छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम चलाकर बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। डूबान जैसे क्षेत्र में ऑनलाइन क्लास संभव नहीं है, जहां पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या तो रहती ही है, साथ ही इस आदिवासी बाहुल्य इलाके के ग्रामीणों के पास एंड्रॉइड मोबाइल की उपलब्धता और डेटा व्यय का अतिरिक्त भार उठाने की क्षमता पालकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए ऑफलाइन शिक्षा के तहत पढ़ई तुंहर पारा काफी कारगर साबित हो रही है। अकलाडोंगरी संकुल केन्द्र में ग्राम कोड़ेगांव (आर) घने जंगल और ऊंचे पहाड़ और घाटियों से घिरा है। इस गांव में मोबाइल नेटवर्क के अभाव के चलते ऑनलाइन क्लास ले पाना संभव नहीं है। ऐसे में पालकों और शिक्षकों ने मिलकर बच्चों की अनवरत पढ़ाई जारी रखने का तरीका ढूंढ निकाला और गांव के पढ़े-लिखे पालकों को भी इसकी जिम्मेदारी सौंप दी। गांव के शिक्षित लोगों को वॉलिंटियर नियुक्त कर लगातार ऑफलाइन क्लास संचालित की, जिसमें सर्वश्री हेमन्त तारम, भवानी शोरी, यशोदा नेताम, संतोषी नेताम, तुलसी शोरी, चेतन कोर्राम, हेमा सेवता ने सतत् मोहल्ला क्लास लेकर बच्चों को विषयवार अध्यापन कराया और शैक्षणिक गतिविधियां आयोजित कराईं।
सरपंच और शिक्षकों के साथ-साथ पालक भी जगा रहे बच्चों में शिक्षा की अलख
November 27, 2020
46 Views
3 Min Read
You may also like
About the author
NEWSDESK
एक्सक्लूसीव
मुख्यमंत्री की पहल… पद्म विभूषण तीजन बाई का एम्स में शुरू हुआ इलाज
December 23, 2024
पत्नी के भरण पोषण के लिए देना होगा हर महीने 20 हजार रुपये
December 22, 2024
गली-गली में बिक रही अवैध शराब, प्रशासन की ढिलाई या संरक्षण का खेल?
December 22, 2024
सांसद बृजमोहन ने लोकसभा में उठाया ग्रामीण विकास का मुद्दा
December 18, 2024