Home » एक अनोखी शादी, सुहागरात के बाद बिछड़ जाते है दूल्हा-दुल्हन
Breaking देश राजस्थान राज्यों से

एक अनोखी शादी, सुहागरात के बाद बिछड़ जाते है दूल्हा-दुल्हन

हमने दुनिया में कई अजीबो-गरीब और अनोखी शादियों के साथ पंरपराओं के बारे में सुना है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी मैरिज के बारे में बताएंगे, जिसे सुन शायद आपको उस पर विश्वास न हो. जानकारी के अनुसार, होली पर भारत के राज्य राजस्थाम के पाली विधान सभा में एक अजीबो गरीब शादी होती है. इस अनोखी शादी में दूल्हा-दुल्हन सुहागरात की रस्म निभाने के बाद एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं. हालांकि इस अनोखे विवाह में पूरा गांव शामिल होता है और धूम-धाम से शादी की सभी रस्में निभाई जाती हैं. इसके अलावा बारात में लोग गालियों पर डांस करते है और महिलाएं भी जमकर गालियां देती हैं. वहीं, सुख- समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट्स की पूजा भी की जाती है. यह मैरिज पाली से 25 किलोमीटर दूर एक कस्बे में होती है. इस गांव में मौजीराम जी और मौजनी देवी का एक पुराना मंदिर है और लोग इन्हें भगवान शिव और माता पार्वती का रूप मानते हैं. यहां परंपरा के अनुसार, दोनों की धूमधाम से अनोखी शादी की जाती है और शादी से एक महीने पहले ही तैयारियां में लोग जुट जाते हैं. यहां तक की शादी के कार्ड बनवाकर बांटे जाते हैं और गांव के बुजुर्गों को पीले चावल दिए जाते हैं. इसी के साथ जो लोग गांव में नहीं हैं, उन्हें डिटिजल कार्ड भेजे जाते हैं. इस शादी समारोह में निसंतान दंपती भगवान शिव-माता पार्वती के प्रतीक की पूजा करते हैं. यहां के लोगों का कहना है कि मौजीराम जी और मौजनी देवी की शादी कराने से गांव में सुख समृद्धि आती है और इस शादी में लोगों को सेक्स एजुकेशन भी दी जाती है. कहा जाता है कि पहले बच्चों को सेक्स से संबंधित जानकारी देना बहुत मुश्किल होता था लेकिन, इस शादी के जरिए यहां के लोगों को जानकारी मिल जाती थी. यहां के लोग का कहना है कि मौजीराम और मौजनी की शादी में हर हर रस्म निभाई जाती है. इसी के चलते प्रतिमाओं को रंग, इत्र और मेहंदी से सजाया जाता है और इस शादी में गांव से गांव जुड़ते हैं. शादी से एक दिन पहले लोग मंदिर में जुटते हैं और मूर्ति पर नारियल चढ़ाकर आरती करते हैं. इसी के साथ जोर-जोर से गालियां दे-देकर बिंदौली निकाली जाती है. एक व्यक्ति के कंधे पर विराजित मौजीराम की यह बंदौली जैन मंदिर पुराना पोस्ट ऑफिस से शुरू होकर सुनारों के बास में जाकर रुकती है. फिर बारात मौजनी देवी के घर ब्रह्मपुरी पहुंचती है, जहां उनके फेरे होते हैं और सुहागरात अन्य रस्म निभाई जाती है. इसके बाद वर-वधु एक साल के लिए फिर बिछड़ जाते हैं.

About the author

NEWSDESK

Advertisement

Advertisement