गुरु शब्द बहुत बड़ा है एक मानव पूर्ण रूप से उसकी महिमा का वर्णन नहीं कर सकता हैं. ईश्वर से उच्च पद प्राप्त गुरु ही संसार व ईश्वर का ज्ञान करवाता हैं. एक सच्चा गुरु अपने शिष्य को सही पथ दिखाता हैं. जीवन में किसी लक्ष्य की साधना के लिए गुरु का होना नितांत अनिवार्य हैं. गुरु भक्ति एक साधक को अन्धकार से ज्ञान रुपी प्रकाशमान संसार में ले जाती हैं. ऐसे ही आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री अरुण चौबे जी महाराज है जो अपने शिष्यों को एक सच्चे गुरु की तरह सही पथ दिखाते आ रहे हैं. शाब्दिक रूप से गुरु शब्द दो शब्दों गु तथा रू से मिलकर बना हैं. गु का अर्थ अज्ञान अथवा अन्धकार से है जबकि रू का आशय ज्ञान व प्रकाश से हैं. इस तरह ज्ञान व अज्ञान के बीच का अंतर गुरु ही मिटाते हैं. समाज के पथ प्रदर्शन एवं प्रगति में गुरुओं का बड़ा महत्व हैं. सच्ची गुरु भक्ति व्यक्ति के सभी उद्देश्यों को पूर्ण करवाती हैं. एक बालक के प्रथम गुरु उनकी माता होती हैं जो बच्चें का लालन पोषण कर उन्हें उठना, बैठना, चलना तथा बोलना सीखाती हैं. वह अपने बालक की समग्र आवश्यकताओं को पूरा कर उसके बचपन को स्वर्णिम बनाती हैं.