Home » विशेष लेख : गोधन न्याय योजना, छत्तीसगढ़ अब आर्गेनिक फार्मिंग की ओर
Uncategorized छत्तीसगढ़ देश राज्यों से

विशेष लेख : गोधन न्याय योजना, छत्तीसगढ़ अब आर्गेनिक फार्मिंग की ओर

रायपुर। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के समान ही छत्तीसगढ़ अब जैविक राज्य बनने की ओर अग्रसर है। राज्य सरकार ने इस दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं। ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को तेजी से मजबूत करने के लिए राज्य सरकार हरेली त्योहार से गोधन न्याय योजना शुरू करने जा रही है। सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ग्रामीणों परंपराओं के अनुरूप गांवों में एक ऐसी स्वचालित प्रणाली विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें गांवों के सभी लोगों की भागीदारी होगी। किसान दूसरी फसल भी आसानी से ले सकेंगे। कमजोर किसानों के पशुओं के लिए भी चारे की व्यवस्था और पशुओं की अच्छी देखभाल हो सकेगी। गरूवा किसानों और पशुपालकों के लिए अब गरू (बोझ) नहीं बनेंगे, डेयरी के व्यवसाय और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा तथा गांव का पर्यावरण भी सुधरेगा। कृषक परिवार से जुड़े छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जमीनी हकीकत पर केन्द्रित सुराजी गांव योजना की परिकल्पना की है। उनके कुशल मार्गदर्शन में इस योजना पर तेजी से अमल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देशन में किसानों से धान खरीदी, उनकी कर्जमाफी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी अभिनव योजनाओं से प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। छत्तीसगढ़ राज्य के सामाजिक आर्थिक ताने-बाने की स्थिति कुछ ऐसी है कि यहां छोटे और मध्यम किसानों की संख्या ज्यादा है, जिसके कारण कृषि प्रबंधन में कई जटिलताएं आती है। पशुओं की खुले में चराई से फसल को नुकसान, पशुपालन की बढ़ती लागत, चारे की कमी, चरवाहों की अनुपलब्धता, रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति पर पडऩे वाले विपरीत प्रभाव जैसी इन जटिल समस्याओं के समाधान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए शुरू की गई सुराजी गांव योजना में पशुप्रबंधन के लिए गौठानों की व्यवस्था की गई है। इन गौठानों को आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य में करीब 20 से 22 लाख किसान हैं। इनमें से अधिकांश किसान लघु एवं सीमांत हैं। बड़े किसानों की संख्या बहुत कम है। ऐसी स्थिति में खेती को लाभदायक बनाने के लिए राज्य सरकार को कई दिशाओं में काम करना पड़ रहा है। राज्य सरकार का फोकस इस बात पर है कि छोटे किसानों के लिए खेती-किसानी फायदे का सौदा बने। सुराजी गांव योजना के तहत नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी को विकसित करने के लिए छोटे-बड़े किसानों, महिलाओं, युवाओं की भागीदारी से इस महत्वाकांक्षी योजना का क्रियान्वयन चरणबद्व तरीके से किया जा रहा है। खेती को लाभप्रद बनाने के लिए राज्य सरकार ने किसानों का लगभग 83 लाख मीट्रिक टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदा और कोरोना संकट के समय उन्हें खेती किसानी से जोड़े रखने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना लागू कर बढ़ी राहत दी है। इस योजना में 5750 करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि 19 लाख किसानों को वितरित की जा रही है। इस योजना की प्रथम किश्त 1500 करोड़ रूपए की राशि की प्रथम किश्त किसानों को दे दी गई है और दूसरी किश्त 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर दी जाएगी। राज्य में लगभग सवा करोड़ पशुधन हैं। ज्यादातर पशुधन छोटे किसान या पशुपालकों के पास है। कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण पशुपालक चारे की व्यवस्था नहीं कर पाते और इन्हें खुले में छोड़ देते हैं। इससे ऐसे किसान, जिनके पास सिंचाई के साधन हैं, उन्हें भी दूसरी फसल लेने में कठिनाई आती है। इस समस्या को दूर करने के लिए राज्य की पुरानी परम्परा रोका छेका को फिर से पुनर्जीवित किया गया। गांव में गौठान समितियों द्वारा धान की बुआई शुरू होते ही बैठकें कर खुले में पशु चराई पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया। गोधन न्याय योजना भी रोका-छेका कार्यक्रम से जुड़ी हुई है। यह किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ खुले में चरने वाले पशुओं के कारण होने वाली फसल क्षति को रोकने में बहुत कारगर सिद्ध होगी। गौठानों में छोटे पशुपालकों के घर-घर से गोबर एकत्र कर उसकी खरीदी की जाएगी। इससे गौठनों में जैविक खाद तथा गोबर गैस का निर्माण होगा। इनकी बिक्री से गौठानों का आर्थिक माडल सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। गौठानों को आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। गोधन न्याय योजना पहले चरण में 2200 गौठानों में लागू की जाएगी, इसके बाद निर्माणाधीन 2800 गौठानों के पूर्ण होने पर उनमें भी लागू होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक क्रांतिकारी योजना साबित होगी, जिसके दूरगामी परिणाम मिलेंगे। इस योजना से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, खेती की जमीन की गुणवत्ता भी सुधरेगी। पशुपालकों को लाभ होगा। गांवों में रोजगार और अतिरिक्त आय के अवसर बढ़ेंगे। आवारा पशुओं के कारण होने वाले सड़क हादसों में कमी आएगी। पर्यावरण में भी सुधार होगा। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश के 5 हजार गौठानों में गोधन न्याय योजना लागू होने से गोबर कलेक्शन और खाद बनाने के काम में लगभग साढ़े चार लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। निर्धारित दर पर गोबर की खरीदी होगी, सहकारी समितियों से वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री की व्यवस्था की जाएगी। गोबर कलेक्शन, वर्मी कम्पोस्ट बनाने और कम्पोस्ट की मार्केटिंग की पूरी चैन विकसित की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया के संचालन में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के साथ गांव के युवाओं की भी सक्रिय भागीदारी होगी। गोबर खरीदी का रेट तय करने के लिए कृषि मंत्री की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मंत्रि-मण्डलीय उप समिति बनायी गयी है। गोबर कलेक्शन, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण और मार्केटिंग की प्रक्रिया तय करने तथा इस प्रणाली के वित्तीय प्रबंधन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की कमेटी गठित की गई है। गोधन न्याय योजना का लाभ ऐसे मजदूर परिवारों को भी मिलेगा जिनके पास खेती की जमीन नहीं है, लेकिन दो-तीन पशु हैं। इस योजना में गांव के चरवाहों को भी शामिल किया जाएगा। छोटे पशुपालकों को भी इस योजना से प्रति माह 2 से 3 हजार रूपए की आमदनी गोबर की बिक्री से होगी।
घनश्याम केशरवानी/आनंद सोलंकी

Cricket Score

Advertisement

Live COVID-19 statistics for
India
Confirmed
0
Recovered
0
Deaths
0
Last updated: 10 minutes ago

Advertisement

error: Content is protected !!