एम्स डॉक्टरों और मेडिकल टीमों की सेवा भुलाई नहीं जा सकती…
रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर छत्तीसगढ़ का वैश्विक महामारी कोरोना से जंग में महत्वपूर्ण हाथ रहा है। शुरुआती समय से ही एम्स अस्पताल प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था के चलते कोरोना मरीजों का इलाज सुचारु तरीके से हो रहा है। हम यह कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कोरोना से इस जंग के मैदान में एम्स के डायरेक्टर डॉ. नीतिन नागरकर एक सेनापति की भूमिका में है जो अपनी चिकित्सकीय टीम के साथ जंग-ए-मैदान में डटे हुए है। ऐसा लगता है कि डॉ. नागरकर कोरोना को मात देने के बाद ही राहत की सांस लेंगे। जब शुरुआत में छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस का संक्रमण से पहले एम्स रायपुर प्रबंधन द्वारा इससे निपटने के लिए अपनी ओर से व्यवस्था कर ली थी। कोरोना को मात देने वाले कोरोना मरीजों ने एम्स के डायरेक्टर डॉ. नीतिन नागरकर एवं उनके समस्त स्टाफ एवं अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था और वहां मरीजों की सेवा में लगे स्टॉफ की खुले दिल से सराहना की है। इन मरीजों ने एम्स में अच्छी सुविधाओं, इलाज, देखभाल और लगातार मनोबल बढ़ाने के लिए अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टरों व नर्सों के साथ ही भोजन देने वालों, सफाई कर्मियों तथा एंबुलेंस कर्मियों को तहेदिल से धन्यवाद दिया है। एम्स में भर्ती एक मरीज ने कोरोना से अपनी लड़ाई का अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि जब कोरोना पाजिटिव्ह आने की खबर मिली तो वे घबरा गए थे। एक पल के लिए तो यकीन भी नहीं हुआ क्योंकि उनमें कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण नहीं थे। ड्यूटी के दौरान उन्होंने खुद को संक्रमण से बचाने पूरी सावधानी बरती थी। एम्स अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही सकारात्मक माहौल मिलने लगा। परिजनों, दोस्तों और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े परिचितों से बातचीत ने भी उनका हौसला बढ़ाया। यूं तो कोरोना से संघर्ष किसी के लिए भी अच्छा अनुभव नहीं है, लेकिन एम्स अस्पताल की देखभाल, सेवा और व्यवस्थित इलाज जिंदगी भर याद रहेगा। अस्पताल में इलाज के दौरान के अपने अनुभव के बारे में एक अन्य मरीज कहते हैं कि वहां सारी चीजें बहुत व्यवस्थित थीं। समय पर दवाईयां, नाश्ता और खाना मिलता था। साफ-सफाई भी अच्छी थी। डॉक्टरों व नर्सों के साथ ही बांकी स्टॉफ का भी व्यवहार बेहद सहयोगात्मक, दोस्ताना और मनोबल बढ़ाने वाला था। इतनी अच्छी देखभाल और सेवा के लिए मैं आजीवन उन सबका शुक्रगुजार रहूंगा। कोरोना महामारी के इस दौर में डॉक्टरों और मेडिकल टीमों की सेवा भुलाई नहीं जा सकती। संक्रमण के खतरों के बीच भी उनका जज्बा काबिले-तारीफ है।