Wednesday, December 10

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी एजी पेरारीवलन की रिहाई मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई है. इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने सूचना दी है कि वो राज्य सरकार की सिफारिश पर तीन से चार दिनों में फैसला लेंगे जिसमें एजी पेरारीवलन की सजा माफ करने की सिफारिश की गई है. एजी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी है इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एजी पेरारीवलन की सजा माफी के संबंध में तमिलनाडु के राज्यपाल को फैसला करना है. सीबीआई ने पिछले साल 20 नवंबर को दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा था कि मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पेरारीवलन सीबीआई के नेतृत्व वाली मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) द्वारा की जा रही और जांच का विषय नहीं है. एमडीएमए जैन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर बड़ी साजिश के पहलू की जांच कर रही है. शीर्ष अदालत 46 वर्षीय पेरारीवलन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने एमडीएमए की जांच पूरी होने तक मामले में उसकी आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से अधिक समय से लंबित रहने पर तीन नवंबर को नाराजगी जाहिर की थी. जांच एजेंसी ने कहा था कि शीर्ष अदालत 14 मार्च, 2018 को पेरारीवलन के उस आवेदन को खारिज कर चुकी है, जिसमें उसने मामले में दोषी ठहराए जाने के शीर्ष अदालत के 11 मई, 1999 के फैसले को वापस लिए जाने का अनुरोध किया था. शीर्ष अदालत ने इससे पहले याचिकाकर्ता पेरारीवलन के वकील से पूछा था कि क्या अदालत अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर राज्यपाल से अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल माफी याचिका पर फैसला लेने का अनुरोध कर सकती है. अनुच्छेद 161 राज्यपाल को किसी भी आपराधिक मामले में अपराधी को माफी देने का अधिकार देता है. शीर्ष अदालत ने कहा था, हम इस क्षेत्र में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं लेकिन हम इस बात से खुश नहीं हैं कि सरकार द्वारा की गई एक सिफारिश दो साल से लंबित है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात में तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी सभा के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी. इस घटना में आत्मघाती महिला धनु सहित 14 अन्य व्यक्ति मारे गये थे और यह संभवत: पहला आत्मघाती विस्फोट था जिसमें किसी बड़े नेता की जान गयी थी. शीर्ष अदालत ने मई 1999 में इस हत्याकांड में पेरारिवलन, मुरूगन, संतन और नलिनी की मौत की सजा बरकरार रखी थी. हालांकि, अप्रैल, 2000 में तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था. शीर्ष अदालत ने दया याचिका पर फैसले में 11 साल के विलंब के आधार पर 18 फरवरी, 2014 को दो अन्य दोषियों-संतन और मुरूगन के साथ पेरारिवलन की मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी थी.

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