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छत्तीसगढ़ में कहां के किसान ले रहे हैं गायों की जान, 290 बीमार 20 की मौत

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ में गायों की जान खुद किसान ( formers) लेने पर आमादा हैं। इसका जीता जागता उदाहरण बेमेतरा जिले के साजा ब्लॉक (Saja block ) के बीजागोंड गांव में देखने को मिला, जहां कोदों की फसल चरने से 290 गायें बीमार हैं । 20 की मौत ( 20 Cowes dead) हो चुकी है , जबकि 20 गायों की हालत नाजुक ( 20 Cowes are serious) बताई जा रही है । मौके पर 25 चिकित्सक गायों के इलाज के लिए पहुंच चुके हैं गायों का इलाज किया जा रहा है लेकिन सवाल यही है कि आखिर कब तक किसान कीटनाशक छिड़ककर अपने ही जानवरों की जान लेते रहेंगे।

क्या है पूरा मामला :
घटना मंगलवार की रात की बताई जा रही है। शाम के वक्त बीजागोंड गांव की गायों के 2 झुंड एक खेत में कोदों की फसल चरने के लिए घुसी थीं। खेत में किसान ने खरपतवार नाशक का छिड़काव किया हुआ था, जिसके चलते चारा विषाक्त हो गया था, और इन गायों ने इस विषैले में चारे को खाया, जिससे रात उनकी तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई । रात 10:30 बजे डॉक्टरों की टीम गांव में पहुंची और उसने इलाज भी शुरू किया । यहां से चारे पानी का सैंपल भी इकट्ठा किया जा रहा है। उसे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय भेजा जाएगा । इसके अलावा कामधेनु विश्वविद्यालय की टीम भी मौके पर पहुंच चुकी है, वह भी मौके की जांच कर रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर बार-बार एक ही तरह की लापरवाही क्यों ? जबकि ऐसे खरपतवार नाशक उनके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय पहले से ही ट्राइकोडरमा 17 नामक दवा बना चुका है, जिसे खेत में डालने पर 40 दिन में किसी भी फसल का अवशेष खाद में तब्दील हो जाता है । इसका कोई दुष्प्रभाव भी किसी पर नहीं पड़ता है । दूसरा यह कि अगर खेत में कीटनाशक का प्रयोग किया गया था तो वहां जानवर न जाएं इस बात के क्या प्रबंध किए गए थे ? अगर नहीं किए गए तो इसका जिम्मेदार कौन है ? तीसरा यह कि अगर किसान ने कीटनाशक का छिड़काव किया था , तो क्या उसने पशुपालकों को बताया था कि मैं कीटनाशक छिड़कने जा रहा हूं, मेरे खेत में जानवरों को मत जाने देना? जबकि बीजागोंडी गांव में सिर्फ तीन ही झुंड है गायों के। ऐसे में 3 लोगों को बता देने से इन गायों की जान बचाई जा सकती थी, जबकि ऐसा नहीं किया गया ? अब प्रशासन जागा है । ऐसे में अहम सवाल यह है कि आखिर किसान कब तक लेते रहेंगे अपने ही जानवरों की जान ?

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